1.पौराणिक ग्रंथों के अनुसार गणेश जी की सूंड बहुत महत्वपूर्ण होती है। क्योंकि इसी के जरिए शुभ फल का पता चलता है। शास्त्रों में गणेश जी के दाईं ओर सूंड को अत्यन्त शुभ माना जाता है। इसे दक्षिणाभिमुखी विग्रह भी कहते हैं। इस गणेश चतुर्थी इनके इस स्वरूप की स्थापना करने से घर में धन-धान्य की वृद्धि होगी।
2.जो लोग परिवार में खुशहाली चाहते हैं उन्हें दाईं ओर सूंड वाले गणपति के साथ उनकी पत्नी ऋद्धि-सिद्धि की भी स्थापना करनी चाहिए। उनके इस अवतार को विनायक स्वरूप माना जाता है। इनकी पूजा करने से शादी में आ रही रुकावटें दूर होती हैं।
3.बाईं तरफ सूंड किए हुए गजानन को वाममुखी माना जाता है। गजानन के इस स्वरूप को वक्रतुंड भी कहा जाता है। इन्हें घर में रखने से शांति का वातावरण बनता है। 4.ग्रहस्थों को बाईं ओर सूंड वाले गणपति की स्थापना करनी चाहिए। इससे पति-पत्नी के संबंध मधुर बनते हैं।
5.पंडित रवि दुबे के अनुसार दक्षिणाभिमुखी गणेश की पूजा में ज्यादा नियमों का ध्यान रखना पड़ता है। जबकि वाममुखी गणपति के पूजन में ज्यादा नियम की जरूरत नहीं होती है। 6.वाममुखी गणपति को मोदक और बूंदी के लड्डुओं का भोग चढ़ाना शुभ माना जाता है। इससे घर में रहने वालों की तरक्की होगी।
7.साधु-सन्यासियों को सीधे सूंड वाले गणेश जी की स्थापना करनी चाहिए। इससे उन्हें सकारात्मक शक्ति मिलेगी।इनकी पूजा करने से भक्तों को सिद्धि भी प्राप्त होती है। 8.सिंदूरी रंग के गणेश जी को विघ्नहर्ता माना जाता है। इनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आ रही सारी परेशानियां दूर हो जाती है।
9.जीवन में खुशहाली के लिए घर में नृत्य करते हुए गणेश जी की मूर्ति की स्थापना करें। इससे परिवार के लोगों के बीच तालमेल भी अच्छा रहता है। 10.इस बार गणेश चतुर्थी पर पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 9 बजे से लेकर 10:30 बजे तक है। इस दौरान मूर्ति की स्थापना करना सबसे अच्छा रहेगा।