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पूजा घर में रखें इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान, वरना झेलनी पड़ सकती हैं मुसीबत

Published: Jan 16, 2019 10:26:39 am

पूजा करने का स्थान उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि पूजा करना महत्वपूर्ण है।

पूजा घर में रखें इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान, वरना झेलनी पड़ सकती हैं मुसीबत

पूजा घर में रखें इन महत्वपूर्ण बातों का ध्यान, वरना झेलनी पड़ सकती हैं मुसीबत

नई दिल्ली। घर में पूजा करने का स्थान आपकी तरक्की और सफलता में एक महत्वपूर्ण योगदान देता है। पूजा घर की सही स्थिति इस बात का निर्धारण करती है कि आपके जीवन में भगवान की कृपा होगी या नहीं। पूजा करने का स्थान उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि पूजा करना महत्वपूर्ण है। अगर पूजा का स्थान अव्यवस्थित है तो आपको कठिनाइयों को झेलना पड़ेगा और अगर पूजा का स्थान अनुकूल परिस्थिति में है तो आपका घर धन-धान्य से परिपूर्ण रहेगा।
1.सबसे पहले तो ध्यान रखने योग्य बात है कि पूजा का स्थान कभी भी बेड रूम में नहीं होना चाहिए। बेड रूम में पूजा स्थान होना शास्त्रों में अशुभ बताया गया है।

2.नियमित रूप से पूजा स्थल की साफ सफाई, पूजा में इस्तेमाल होने वाले बर्तनों की साफ-सफाई बहुत आवश्यक होती है। अन्यथा समस्याएं हावी होती हैं।
3.पूजा के स्थान पर साफ-सफाई करने के लिए झाड़ु और अन्य चीजें घर के अन्य स्थान पर इस्तेमाल नहीं होनी चाहिए। इन्हे केवल पूजा स्थल पर ही इस्तेमाल करना चाहिए।

4.पूजा स्थल की दीवारों का रंग भी बहुत ज्यादा गहरा नहीं होना चाहिए। हल्के रंगों का इस्तेमाल करना उचित रहता है।
5.पूजा स्थल के पास अपनी तिजोरी या अलमारी रखें इससे हमेशा भगवान की कृपा बनी रहती है और पैसों की कमी नहीं झेलनी पड़ती है।

6.पूजा के स्थान पर दीवारों के रंग के अलावा फर्श का कलर भी हल्के रंग में ही होना चाहिए। हल्के रंग का इस्तेमाल सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।
7.पूजा स्थान पर सभी देवी- देवताओं के चित्र आशीर्वाद मुद्रा में होने चाहिए। आशीर्वाद मुद्रा वाली तस्वीर शुभ मानी जाती है और इसका जीवन में सकारात्मक प्रभाव रहता है।

8.पूजा का स्थान अव्यवस्थित नहीं होना चाहिए। पूजा स्थल की प्रत्येक वस्तु तरीके से रखी होना चाहिए अन्यथा नकारात्मक दोष उत्पन्न होते हैं।
9.पूजा स्थल की ठीक व्यवस्था होने के कारण कभी भी समस्याएं उत्पन्न नहीं होती है और घर में नकारात्मकता का प्रवेश नहीं हो पाता।

10.पूजा स्थल को अधिक लाभकारी बनाने के लिए वास्तु के अनुसार मंदिर को तैयार करना चाहिए। मंदिर की दिशा का भी ध्यान रखना जरूरी होता है।

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