घाटी की फिजा के बदले रंग, जानिए अजीत डोभाल के जम्मू-कश्मीर दौरे से अब तक के पूरे
1. सन 1947 में देश अजाद हुआ। इसी के साथ ये दो हिस्सों- हिंदुस्तान और पाकिस्तान में बंट गया। उस समय रियासतों के विलय का काम चल रहा था। विलय होने वाली रियासतों में जम्मू-कश्मीर रियासत भी थी, जिसके राजा महाराजा हरि सिंह थे। महाराजा हरि सिंह ने हालात के मद्देनजर जम्मू-कश्मीर का विलय भारत में करने पर सहमति जताई।जानें जम्मू-कश्मीर की रणबीर दंड संहिता की 10 बड़ी बातें, कैसे है IPC से अलग
6. सन 1965 में पाकिस्तान ने एक बार फिर कश्मीर पर कब्जा करने की कोशिश की। इस बार भी उसे मुंह की खानी पड़ी। इस युद्ध में पाकिस्तान हार गई। इससे पाकिस्तान तिलमिला उठा और पूरे देश में नफरत फैलाने का कार्य किया। इसके बाद से पाकिस्तान की समूची राजनीति कश्मीर पर आधारित हो गई।
7. इसके बाद भी पाकिस्तान ने कश्मीर को कब्जाने से बाज नहीं आया। परिणामस्वरूप 1971 में उसने फिर से कश्मीर पर अधिकार करने की कोशिश की। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इसका डटकर मुकाबला किया। पाकिस्तानी सेना के 1 लाख सैनिकों को भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण करना पड़ा। इसी के बाद ‘बांग्लादेश’ नाम से स्वतंत्र देश का जन्म हुआ। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी चाहतीं तो कश्मीर की समस्या सदा के लिए सुलझा सकती थीं। विशेषज्ञों के अनुसार- लेकिन वे जुल्फिकार अली भुट्टो के बहकावे में आ गईं और 1 लाख सैनिकों को छोड़ दिया।
8. इस शर्मनाक हार के बाद पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी में सैनिकों को हार का बदला लेने की शपथ दिलाई गई। अले युद्ध की तैयारी की जाने लगी। किंतु अफगानिस्तान में हालात बिगड़ने लगे और 1971 से 1988 तक पाकिस्तानी सेना और कट्टरपंथी अफगानिस्तान में उलझी रही।
9. 1988 में तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल जिया-उल-हक ने 1988 में भारत के विरुद्ध ‘ऑपरेशन टोपाक’ नाम से ‘वॉर विद लो इंटेंसिटी’की योजना बनाई। इस योजना के तहत भारतीय कश्मीर के लोगों के मन में अलगाववाद और भारत के प्रति नफरत के बीज बोने थे और फिर उन्हीं के हाथों में हथियार थमाने थे। पाकिस्तान का इरादा सिर्फ कश्मीर को ही अशांत रखना नहीं रहा, वे जम्मू और लद्दाख में भी सक्रिय होने लगे। कश्मीरी पंडित वहां से विस्थापित होने लगे।
10. इसके बाद कश्मीर लगातार आतंकवाद और अलगाववाद के चलते सुर्खियों में बना रहा। यहां तक कि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान भी कश्मीर की समस्या पर लगा रहा। कश्मीर का मुद्दा यूएनओ तक में उछलता रहा। पाकिस्तान में इमरान खान की लोकतांत्रिक सरकार आने के बाद भारत-पाकि दोस्ती की बातें की जाती रहीं, लेकिन वे अंजाम तक नहीं पहुंच पाईं। आज 5 अगस्त को केंद्र की भाजपा सरकार ने जम्मू-कश्मीर पर ऐतिहासिक फैसला लेते हुए इसे दो हिस्सों मे बांटकर दोनों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया।