1200 सालों से एक ही जगह पर टिका है श्रीकृष्ण का ये बटर बॉल, आंधी-तूफान का भी नहीं असर 1.पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार श्रीकृष्ण देवकी की आठवीं संतान थी। अपने भाई कंस से उसे जान का खतरा होने पर उन्होंने कन्हैया को यशोदा और नंदजी के पास वृंदावन ले गए थे।
2.नंदलाला का बचपन वृंदावन की नगरी में ही खेल-कूदकर बीता है। वो बचपन से ही बड़े शरारती थे। 3.श्रीकृष्ण को बचपन से ही माखन और दही खाना बहुत पसंद था। इसलिए वो घर में रखे दही के सारे पात्र चाटकर खा जाते थे।
4.श्रीकृष्ण को माखन और दही इतना ज्यादा पसंद था कि वो अपने घर के अलावा अपने पड़ोसियों के घर भी इसे खाने पहुंच जाते थे। तभी कृष्णा की पहुंच से माखन को दूर रखने के लिए इसे हांडी में रखा जाने लगा।
5.श्रीकृष्ण की मां यशोदा समेत सभी पड़ोसी अपने घर पर हांडी में दही और माखन भरकर टांग देते थे। मगर श्रीकृष्ण इतने नटखट थे कि वे दोस्तों की मदद से चढ़कर हांडी से दही चुराकर खा लेते थे।
6.कई बार तो श्रीकृष्ण ने माखन और दही खाने के लिए पत्थरों से भी हांडी तोड़ी है। ये देखकर कई बार यशोदा मां नाराज भी हो जाती थी। मगर कान्हा की अटखेलियां देख वो सब कुछ भूल जाती थीं।
7.चूंकि श्रीकृष्ण भगवान विष्णु का स्वरूप हैं और उनकी बाल लीला ने सबका मन मोह लिया था। इसलिए भगवान कृष्ण को अपने घर निमंत्रित करने के लिए लोग हांडी में माखन और दही भरकर रखते हैं।
8.पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जन्माष्टमी पर दही हांडी रखने से घर में श्रीकृष्ण का आगमन होता है। इससे घर में सुख-शांति बनी रहती है। 9.श्रीकृष्ण ने ग्वाल परिवार में जन्म लिया था। वहां दूध से ज्यादातर चीजें बनाई जाती थीं। इसलिए श्रीकृष्ण को बचपन से ही दही और माखन खाना पसंद था।
10.दही हांडी समृद्धता का भी प्रतीक है। मान्यता है कि इसे जन्माष्टमी के दिन घर में रखने से कभी अन्न और धन की कमी नहीं होती है।