पूजन के लिए अक्सर लोग सुबह एवं शाम को दीपक जलाते हैं। इससे घर की शुद्धि के साथ मन को भी शांति मिलती है, लेकिन क्या आपको पता है दीया जलाते समय अनजाने में की गई गलतियां भी भारी पड़ सकती हैं। आज हम आपको दीपक जलाने के सही नियम और ध्यान रखने वाली 10 बातों के बारे में बताएंगे।
लोग पूजन के दौरान दीपक तो जलाते हैं मगर इसे सही तरीके से नहीं रखते हैं। कुछ लोगों का सिंघासन छोटा है तो वो दीपक नीचे रख देते हैं तो कुछ दीये को किनारे रखते हैं। मगर दीपक जलाने की सही प्रक्रिया यह है कि दीये को हमेशा भगवान की तस्वीर के ठीक सामने रखना चाहिए।
हम में से ज्यादातर लोग दीपक जलाने के लिए रुई की बत्ती का प्रयोग करते हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि दीपक जलाने के लिए रुई के अलावा लाल धागे का भी प्रयोग किया जाता है। दरअसल रुई का प्रयोग घी के दीपक के लिए जबकि तेल के दीपक के लिए लाल धागे की बत्ती श्रेष्ठ होती है।
कई बार दीपक थोड़ा चिटका रहता है या टूटा रहता है, मगर लोग अनजाने में इसे प्रयोग करते रहते हैं। मगर क्या आपको पता है आपकी की गई ये गलती आप पर कितनी भारी पड़ सकती है। दरअसल इसे पूजन में बहुत अशुभ माना जाता है। खंडित दीपक में लौ जलाने से लक्ष्मी जी नाराज हो जाती हैं। जिससे घर में कभी पैसा नहीं टिकता है।
दीपक जलाने के लिए समय का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। कई लोग बेवक्त दीपक जला देते हैं। जबकि शास्त्रों के अनुसार ऐसा करना नुकसानदायक हो सकता है। दरअसल सुबह के समय दीपक हमेशा पांच बजे लेकर 10 बजे तक के अंदर जलाना चाहिए। जबकि शाम के समय इसे 5 से 7 के बीच जलाना चाहिए।
बहुत से लोग शाम के समय घर के कोनों पर भी दीपक रखते हैं, लेकिन ध्यान रहे कि दीपक कभी भी पश्चिम दिशा की ओर न रखें। क्योंकि ऐसा होने से घर के सदस्यों पर मुसीबतों का पहाड़ टूट सकता है। उन्हें स्वास्थ संबंधित समस्याओं के साथ आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
दीपक को कभी भी इस तरह से रखें कि उसकी रौशनी दक्षिण दिशा की ओर पड़े। ऐसा होने पर रुपए—पैसों का नुकसान हो सकता है। आप पर कर्ज को बोझ भी पड़ सकता है।
दीपक वैसे तो भगवान के बीचों—बीच रखना चाहिए, लेकिन इसकी स्थिति उसमें भरे जाने वाले द्रव्य पर निर्भर करती है। अगर दीया घी का हो तो इसे अपने बाएं हाथ की ओर जलाएं। जबकि दीया तेल का होने पर इसे दाहिने ओर जलाएं।
पूजन के समय दीपक को बुझने न दें। ऐसा होना अशुभ फल देता है। इससे घर में बीमारियों एवं नकारात्मकता का वास होता है। इससे भगवान अप्रसन्न होते हैं और पूजन का पूर्ण फल भी नहीं मिल पाता है।
दीपक जलाने से होने वाले लाभ को दोगुना करने के लिए दिनों के अनुसार दीपक जलाएं। यदि आप शनि देव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सरसों के तेल का दीया जलाएं, वहीं दुर्गा जी को प्रसन्न करने के लिए घी का दीपक जलाएं। जबकि अन्य देवी—देवताओं को प्रसन्न करने के तिल के तेल का प्रयोग करें।