अक्सर आपने लोगों को अंगुलियों में कई तरह के रत्नों वाली अंगुठियां पहने देखा होगा। माना जाता है कि अलग-अलग ग्रहों के रत्न धारण करने से व्यक्ति के सारे काम बन जाते हैं। मगर क्या आपको पता है इन रत्नों को सही से धारण न करने और एक तय समय सीमा पर इसे न बदलने से नुकसान भी हो सकते हैं।
ज्योतिष विद्या के अनुसार नक्षत्र में नौ ग्रह हैं, इसलिए इनके रत्न भी 9 हैं। जिसमें सूर्य के लिए माणिक, चन्द्र के लिए मोती, मंगल के लिए मूंगा, बुध के लिए पन्ना, गुरु के लिए पुखराज, शुक्र के लिए हीरा, शनि के लिए नीलम, राहु के लिए गोमेद और केतु के लिए लहसुनियां शामिल है।
ये सारे रत्न तभी सही से काम करते हैं जब इन्हें ठीक तरीके से पहना जाए। कई लोग बिना देखे कभी भी रत्न धारण कर लेते हैं। मगर उन्हें मनचाहा परिणाम मिलने की जगह नुकसान होने लगता है। इसलिए रत्न को कभी भी अमावस्या, ग्रहण और संक्रान्ति के दिन नहीं पहनना चाहिए।
रत्न धारण करते समय इसका भार भी बहुत मायने रखता है। आमतौर पर कोई भी रत्न 5,7,11 रत्ती के पहने जाते हैं। इससे कम वजन के रत्न पहनने पर व्यक्ति को उतना फायदा नहीं होता है, क्योंकि ये व्यक्ति के शरीर के भार के अनुपात में बहुत कम होता है।
रत्न को कभी 4, 9 और 14 तारीख को नहीं पहनना चाहिए। क्योंकि इन तारीखों का गोचर चंद्रमा आपकी राशि में हो सकता है। इन तिथियों पर रत्न धारण करने से इसका प्रभाव खत्म हो जाता है।
रत्न को हमेशा दूध, छाछ व गंगाजल में डूबोकर पहनना चाहिए। इससे रत्न की अशुद्धियां दूर हो जाती है। रत्न धारण करने के बाद इसे बार-बार नहीं उतारना चाहिए। क्योंकि नग अपने अंदर एक ऊर्जा समाए होता है, जिसे अंगुली में पहनने से ये स्नायू तंत्र के जरिए शरीर पर अच्छा असर दिखता है। मगर बार-बार अंगूठी के उतारने से ये क्रिया प्रभावित हो जाती है।
रत्न व्यक्ति के लिए एक रक्षा कवच की तरह काम करता है। तभी कहते हैं कि रत्न आपकी मुसीबत अपने पर ले लेता है। जिसके चलते इनका रंग बदल जाता है व कई बार ये खुद टूट जाते हैं। मगर वास्तविकता में हर रत्न की एक तय समय सीमा जिसके तहत ही वो कार्य करता है।
आपने देखा होगा कि अक्सर जो लोग मोती रत्न पहनते हैं वो कुछ महीनों बाद ढीला हो जाता है। तभी वो फ्रेम में सही से बैठ नहीं पाता। दरअसल कुछ समय बाद रत्न अपने आप घिसने लगते हैं। जिससे उसका प्रभाव कम हो जाता है। मोती को ज्यादा से ज्यादा ढ़ाई व तीन सालों तक के लिए पहना जा सकता है। इसके बाद इसका असर खत्म हो जाएगा।
इसी तरह माणिक्य को 4 वर्ष, मूंगा को 3, पन्ना 4, पुखराज4, हीरा 7, नीलम 5, गोमेद और लहसुनिया 3 साल तक पहनना चाहिए। इसके बाद इन रत्नों का प्रभाव कम हो जाता है। ऐसे में ये रत्न महज शोपीस बनकर रह जाता है।
किसी भी रत्न को अंगूठी में सेट करवाने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि वो आपकी अंगुली से छुएं, तभी भी रत्न अपना प्रभाव दिखाएगा। उठी हुई अंगूठी से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इसलिए रत्न को अंगूठी में बनवाते समय उसके नीचे का हिस्सा गोलाकार होना चाहिए।