1.प्राचीन धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नर्मदा नदी में अपने आप शिवलिंग की उत्पत्ति होती है। ये पत्थर के होते हैं। इन्हीं शिवलिंगों की पूजा नदी के किनारे बने मंदिर में होती है। 2.नर्मदा नदी के तट पर बने शिव जी के इस मंदिर का नाम नर्मदेश्वर है। बताया जाता है कि इस नदी में पाया जाने वाला हर पत्थर शिव जी का स्वरूप होता है।
3.धार्मिक ग्रंथों के अनुसार नर्मदा देवी को शिव जी की पुत्री बताया जाता है। इसलिए कहते हैं कि नदी में पाए जाने वाले सभी पत्थरों में शिव जी का वास होता हैं 4.वैसे तो हर महीने शिवलिंग की पूजा की जाती है मगर सावन के महीने में यहां खूब भीड़ होती हैं। यहां रुद्राभिषेक एवं अन्य अनुष्ठानों का आयोजन किया जाता है।
5.नर्मदा में पाए जाने वाले इस शिवलिंग की एक खासियत है कि यहां की मूर्ति स्थापना के लिए प्राण प्रतिष्ठा की जरूरत नहीं पड़ती है। क्योंकि इस शिवलिंग उत्पत्ति स्वयं होती है। 6.माना जाता है कि नर्मदेश्वर में शिव की आराधना करने से व्यक्ति को मृत्यु का भय नहीं रहता है। इससे व्यक्ति के जीवन में आ रही सारी समस्याएं दूर होती हैं।
7.कहते हैं कि भक्त को जितना पुण्य गंगा नदी में डुबकी लगाकर मिलता है, उतना ही फल नर्मदेश्वर के दर्शन करने से भी होता है। 8.मान्यता है कि इस शिवलिंग के दर्शन करने एवं अभिषेक करने से व्यक्ति को धन की प्राप्ति होती है। साथ ही सुख-शांति मिलती है।
9.इस शिवलिंग के दर्शन करने से व्यक्ति को ग्रह दोषों से भी छुटकारा मिलता है। कहा जाता है कि यहां एक कलश भरकर जल चढ़ाने से व्यक्ति के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं।
10.बहुत से लोग नर्मदा नदी में मिलने वाले इन शिवलिंग रूपी पत्थरों को ले जाकर अपने घर में स्थापित करते हैं। इन्हें स्थापित करते समय शिव जी का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए।