scriptहाईवे पर पड़ने वाले माइलस्टोन्स को न लें हल्के में, इनके बदलते रंग करते हैं इन 10 बातों का इशारा | Patrika News
दस का दम

हाईवे पर पड़ने वाले माइलस्टोन्स को न लें हल्के में, इनके बदलते रंग करते हैं इन 10 बातों का इशारा

10 Photos
6 years ago
1/10

अक्सर हम जब कहीं बाहर घूमने जा रहे होते हैं तो हमें हाईवे पर कई माइल स्टोन्स मील का पत्थर दिखते हैं। ज्यादातर लोग इन्हें केवल डिसटेंस बताने का ही जरिया मानते हैं, लेकिन हकीकत में ये माइलस्टोन्स कई दूसरी चीजों की ओर भी इशारा करते हैं। इनके बदलते हुए रंग अलग—अलग संकेतों को दर्शाते हैं। आज हम आपको इससे जुड़ी 10 खास बातों के बारे में बताएंगे।

2/10

माइलस्टोन्स एक तरह का इंडिकेशन पत्थर होता है जो हमें हमारे गंतव्य की दूरी के बारे में बताता है। देश में हर जगह मील के पत्थरों के अलग—अलग रंग होते हैं। ये हमें नेशनल, स्टेट हाईवे एवं अन्य चीजों के बारे में बताते हैं।

3/10

रास्ते में पड़ने वाले ये मील के पत्थर ज्यादातर पीले—काले और काले—सफेद में होते हैं। वहीं कई जगह ये पूरा सफेद और औरेंज कलर के भी होते हैं। अगर आपको सड़क किनारे नारंगी-सफेद रंग का पत्थर लगा दिखाई दें तो समझ जाएं कि आप किसी गांव की सीमा में प्रवेश कर गए हैं। ये प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना को दर्शाता है।

4/10

वहीं सफर के दौरान अगर आपको नीला-सफेद या काला-सफेद रंग का मील का पत्थर दिखाई दें तो समझें कि कोई बड़ा शहर आपके नजदीक है या आप उस शहर की सीमा के अंदर प्रवेश कर चुके है। इस सड़क की देखरेख की जिम्मेदारी उस शहर के एडमिनिस्ट्रेशन के अधीन होता है।

5/10

सफर के दौरान जब आपको सड़क के किनारे पीला-सफेद रंग का माइलस्टोन दिखें तो समझ जाएं कि आप नेशनल हाईवे पर हैं। ये हाईवे देश को विभिन्न शहरों और वहां की सड़कों को जोड़ता है।

6/10

ये हाईवे करीब 70 हजार किलोमीटर एवं इससे अधिक होते हैं। इसमें पूर्व, पश्चिम एवं उत्तर—दक्षिण कॉरिडोर भी होते हैं। नॉर्थ—साउथ कॉरिडोर के तहत जम्मू—कश्मीर से कन्याकुमारी तक का क्षेत्र जुड़ता है। जबकि ईस्ट—वेस्ट कॉरिडोर में गुजरात के पोरबंदर से लेकर असम के सिलचर तक जोड़ता है। इसके अलावा गोल्डन कोआॅर्डिलेटरल क्षेत्र भी है। इसके तहत देश के चार मेट्रो सिटीस आपस में जुड़े हैं।

7/10

अगर आपको यात्रा के दौरान सड़क किनारे हरा-सफेद रंग का मील का पत्थर लगा दिखे तो आप समझ जाएं कि ये एक स्टेट हाईवे है। इस रोड के रख रखाव की जिम्मेदारी वहां के राज्य सरकार की होती है।

8/10

दो शहरों के बीच की दूरी को जोड़कर उसे माइलस्टोन्स पर लिखने के लिए दूरी की गणना करनी होती है। इसके लिए हाईवे अथॉरिटी और द नेशनल सर्वे ब्यूरो दो शहरों के हेड पोस्ट आॅफिस तक की दूरी नापती है।

9/10

इसी तरह गांव से गांव की दूरी नापने के लिए वहां के ग्राम पंचायत आफिसों के बीच की दूरी नापी जाती है। नापने की इस प्रक्रिया को सेंटर प्वाइंट और जीरों प्वाइंट के नाम से भी जाना जाता है।

10/10

इस जीरो प्वाइंट को नापने की भारत में शुरुआत अंग्रेजों ने की थी। वे इन्हीं बिंदुओं को जोड़कर कुल दूरी का पता लगाते थे।

loksabha entry point
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.