scriptजयंती आज : स्वतंत्रता संघर्ष में क्या था मोतीलाल नेहरू का योगदान, जानें 10 खास बातें | Motilal Nehru's contribution in freedom struggle, 10 special things | Patrika News

जयंती आज : स्वतंत्रता संघर्ष में क्या था मोतीलाल नेहरू का योगदान, जानें 10 खास बातें

locationनई दिल्लीPublished: May 06, 2019 03:28:41 am

Submitted by:

Navyavesh Navrahi

कॉलेज के दिनों में अंग्रेजी सभ्यता से प्रभावित थे मोतीलाल
गांधी जी के प्रभाव से स्वदेशी कपड़ों को अपनाया
1923 में स्वराज पार्टी का गठन किया

moti lal nehru
नई दिल्ली। देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू का जन्म 6 मई 1861 को आगरा में हुआ था। मोतीलाल जी के दादाजी लक्ष्मी नारायण मुगल कोर्ट में इस्ट इंडिया कंपनी के पहले वकील थे। मोतीलाल अपने वकील भाई से प्रेरित थे। इसी कारण उन्होंने भी वकालक का ही पेशा अपनया। तीन साल कानपुर में वकालत की, इसके बाद इलाहाबाद चले गए। देश की आजादी के संघर्ष में भी उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया। आइए उनके जीवन और आजादी के संघर्ष से जुड़ी 10 खास बातें जानें…
1. मोतीलाल नेहरू ने कांग्रेस की छवि के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सितंबर 1920 में उन्होंने असहयोग आंदोलन में पार्टी का नेतृत्व किया। वे दो बार कांग्रेस के अध्यक्ष रहे।

2. कानून के जानकार होने के कारण साइमन कमीशन के विरोध में सर्वदलीय सम्मेलन के दौरान 1927 में मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई। इसे भारत के संविधान का दायित्व सौंपा गया। इस रिपोर्ट को ‘नेहरू रिपोर्ट’ के नाम से जाना जाता है। मोतीलाल नेहरू 1910 में सयुंक्त प्रांत, विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए।
3. अप्रैल 13 सन 1919 में अमृतसर में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में उन्होंने महात्मा गांधी के आह्वान पर वकालत छोड़ दी।

4. इसी समय के दौरान उनकी विचारधारा में बदलाव आया। मोतीलाल नेहरू ने 1918 में महात्मा गांधी नेतृत्व में विदेशी कपड़ों का त्याग करके देसी कपड़े पहनने शुरू कर दिए। जबकि कॉलेज के दिनों में मोतीलाल नेहरू पश्चिमी सभ्यता से बहुत प्रभावित थे।
5. मोतीलाल नेहरू ने देशबंधु चितरंजन दास के साथ मिलकर 1923 में स्वराज्य पार्टी बनाई। इसके जरिए वे सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली पहुंचे और बाद में वहां विपक्ष के नेता बने।

6. भारत में जब पहली बार बाइसिकल आई, तो मोतीलाल नेहरू पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने इसे खरीदा था।
7. देश की आजादी से पहले मोतीलाल को देश के बुद्धिमान वकीलों में गिना जाता था।

8. मोतीलाल नेहरू ने कैम्ब्र‍िज यूनिवर्सिटी से ‘बार ऐट लॉ’ किया और कानपुर में एक लॉयर के तौर पर प्रैक्ट‍िस भी की। बाद में वे इलाहाबाद चले गए।
9. साल 1900 में उन्होंने इलाहाबाद के सिविल लाइन्स में उन्होंने एक हवेली खरीदी, जिसका नाम रखा आनंद भवन। बाद में इंदिरा गांधी ने ये भवन भारत सरकार को सौंप दिया। इसे संग्रहालय के रूप में सहेजा गया है।
10. दिल्ली यूनिवर्सिटी के मोतीलाल नेहरू कॉलेज का नाम उन्हीं के नाम पर रखा गया है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो