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राक्षस पी जाता है मंदिर में रखे घड़े का पानी, माता शीतला ने खुद दिया है उसे वरदान

locationनई दिल्लीPublished: Dec 18, 2018 04:56:09 pm

Submitted by:

Soma Roy

राजस्थान के पाली जिले में स्थित है शीतला माता का ये मंदिर, 800 सालों से नहीं भर रहा है घड़ा

sheetla mata mandir

राक्षस पी जाता है मंदिर में रखे घड़े का पानी, माता शीतला ने खुद दिया है उसे वरदान

नई दिल्ली। भारत देश में चमत्कारों की दुनिया बहुत बड़ी है। इन्हीं अनोखे किस्सों में शुमार है राजस्थान के पाली जिले में स्थित मंदिर। यहां बना शीतला माता का मंदिर काफी रहस्यों से भरा हुआ है। बताया जाता है कि इस मंदिर में मौजूद घड़ा कभी भरा हुआ नहीं रह पाता है क्योंकि यहां एक राक्षस इसका पानी पी जाता है। तो क्या है इस मंदिर का रहसय आइए जानते हैं।
1.ये मंदिर राजस्थान के पाली जिले में स्थित है। ये माता शीतला का मंदिर है। बताया जाता है यहां एक चमत्कारिक घड़ा मौजूद है।

2.इस घड़े की खासियत है कि इसमें लाखों लीटर पानी डालने के बावजूद ये कभी पूरा भरता नहीं है। ये हमेशा खाली हो जाता है।
3.पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मंदिर में एक राक्षस भी है जो इस घड़े का पानी पी जाता है। जिसके चलते घड़ा कभी पूरा भर नहीं पाता है।

4.घड़े में पानी भरने का काम करीब 800 सालों से चल रहा है। इसमें अब तक करीब 50 लाख लीटर से ज्यादा पानी भरा जा चुका है, लेकिन ये अभी भी खाली है।
5.बताया जाता है कि 800 साल पहले गांव में बाबरा नामक एक राक्षस हुआ करता था। वो शादी वाले दिन दूल्हें को मार देता था। उसके आतंक से सभी परेशान थे। तब उससे छुटकारा पाने के लिए सबने मां शीतला का आवाहन किया था।
6.तब देवी मां ने एक ब्राम्हण को स्वप्न में कहा कि जब वो उनकी बेटी के रूप में उनके यहां जन्म लेंगी और जिस दिन उनकी शादी होगी तब वो उस असुर का वध कर देंगी।
7.देवी शीतला ने अपने वचन के तहत उस राक्षस का वध किया। उन्होंने अपने घुटनों से उस राक्षस का संघार किया था।

8.बताया जाता है कि जब राक्षस मरने वाला था तब उसने देवी मां से अपनी एक इच्छा व्यक्त की थी। उसने कहा था कि गर्मियों उसे बहुत प्यास लगती है, इसलिए उसे पानी पिला दिया जाए।
9.तब देवी मां ने उसकी ये इच्छा पूरी करते हुए कहा था कि साल में दो बार उसे पानी पिलाया जाएगा। तब से लेकर आज तक गांव में ये प्रथा जारी है।

10.पुरानी परंपरा के तहत इस मंदिर में साल भर में दो बार इस घड़े को निकाला जाता है। इसमें गांव की महिलाएं हजारों लीटर पानी भरती हैं, लेकिन ये पूरा नहीं भरता है। तब मंदिर का पुजारी देवी मां के चरणों से दूध छुआकर इस घड़े में डालता है तब ये पूरा भर जाता है। देवी मां की इसी महिमा के दर्शन के लिए यहां दो दिन के मेले का आयोजन किया जाता है।
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