हमारे यहां ईस्वी संवत और विक्रमी संवत दोनों को ही महत्व दिया जाता है। ईस्वी संवत के अनुसार नववर्ष की शुरुआत एक जनवरी को और विक्रमी संवत के अनुसार नए साल की शुरुआत बैसाख माह के प्रथम दिन से मानी जाती है जबकि इस्लाम में हिजरी संवत के आधार पर नववर्ष की शुरुआत मानी जाती है। बहरहाल, नव वर्ष मनाने की परम्पराएं चाहे कुछ भी हों, सभी का उद्देश्य एक ही है और वह है नव वर्ष सुख, शांति एवं समृद्धि से परिपूर्ण हो। आइए जानते हैं, भारत के विभिन्न हिस्सों में कैसे मनाया जाता है नववर्ष
महाराष्ट्र : नव वर्ष के शुभ अवसर पर एक सप्ताह पहले ही घरों की छतों पर रेशमी पताका फहराई जाती है। घरों व दफ्तरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है तथा इस दिन पतंगें उड़ाकर नववर्ष का स्वागत किया जाता है।
बिहार : नव वर्ष के मौके पर विद्या की देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। गरीब बच्चों को कपड़े तथा चावल का दान किया जाता है ताकि वर्ष भर घरों में सुख-शांति एवं समृद्धि बनी रही।
असम : नव वर्ष की यादगार बेला में घर के आंगन में मांडणे (रंगोली) सजाए जाते हैं तथा दीप या मोमबत्तियां जलाई जाती हैं। गाय को रोटी और गुड़ खिलाया जाता है ताकि नव वर्ष हंसी-खुशी के साथ गुजरे।
केरल : नववर्ष के अवसर पर नीम व तुलसी की पत्तियां तथा गुड़ खाना शुभ माना जाता है। माना जाता है कि इनको खाने से शरीर साल भर तक स्वस्थ बना रहता है।
राजस्थान : नववर्ष के विशेष अवसर पर गुड़ से बने पकवान खाना बहुत शुभ माना जाता है ताकि वर्षभर मुंह से मधुर बोली ही निकलती रहे।
मणिपुर : इस दिन तरह-तरह की आतिशबाजी की जाती है और अनेक स्थानों पर भूत-प्रेतों के पुतले बनाकर भी जलाए जाते हैं ताकि भूत-प्रेत किसी को नुकसान न पहुंचा सकें।
छत्तीसगढ़ : यहां के आदिवासी तरह-तरह के गीत गाकर नव वर्ष का स्वागत करते हैं। इस दिन यहां बच्चों को गोद लेने की प्रथा भी है ताकि वर्ष का प्रत्येक दिन खुशियों से भरा रहे। राज्य के कुछ आदिवासी इलाकों में फसल में महुआ के फूल दिखाई देने पर आदिवासी उत्सव मनाया जाता है, जो उनके नववर्ष का प्रारंभ माना जाता है। देश के कई अन्य आदिवासी इलाकों में उनके देवी-देवताओं के आराधना पर्वों के हिसाब से नव वर्ष की शुरुआत मानी जाती है।
जम्मू कश्मीर : नववर्ष के मौके पर अनाथ बच्चों को भरपेट भोजन कराकर नए कपड़े पहनाए जाते हैं और उनके माथे पर तिलक लगाकर आरती उतारी जाती है ताकि नववर्ष हंसी-खुशी के साथ व्यतीत हो सके।
नागालैंड : नाग आदिवासी नाग पंचमी के दिन से ही अपने नववर्ष की शुरुआत करते हैं।
पंजाब और हरियाणा : यूं तो आजकल एक जनवरी को ही नववर्ष धूमधाम से मनाया जाता है लेकिन यहां नई फसल का स्वागत करते हुए नववर्ष बैसाखी के रूप में भी मनाया जाता है।