अधिकमास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पद्मिनी एकादशी कहते हैं। कई लोग इसे कमला एकादशी के नाम से भी जानते है। ये पर्व आज देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। ये करीब तीन साल बाद पड़ा है। इसके चलते विशेष संयोग बन रहा है। तो किस प्रकार करें एकादशी में पूजा आइए जानते हैं।
अधिकमास व मलमास में पड़ने वाली एकादशी की संख्या सामान्य वर्ष की तुलना में 2 ज्यादा होती है। इस साल एकादशी साल में 26 होंगी। जिसका नाम पद्मिनी एकादशी (शुक्ल पक्ष) और परमा एकादशी (कृष्ण पक्ष) है। वहीं दूसरे वर्षों में ये केवल 24 होती हैं।
आज का दिन हिंदू धर्म के अनुसार बहुत खास होता हैं। पद्मिनी एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। कहते हैं कि इस दिन पूरी निष्ठा से भगवान की पूजा करने से व्यक्ति को बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
इसके महत्व का वर्णन भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं करते हुए कहा है कि मलमास में पड़ने वाली एकादशी बहुत शुभ फल देने वाली होती है। इस व्रत को रखने वाला व्यक्ति जीवन में बहुत यश प्राप्त करता है। यह व्रत बहुत दुर्लभ होता है।
पुराणों के अनुसार हजारों वर्षों की तपस्या, पुण्य दान एवं स्वर्ण दान आदि का महत्व इस दिन की गई पूजा से कम होता है। कमला एकादशी एकमात्र ऐसा व्रत है जो एक दिन की पूजा से व्यक्ति को सभी पापों एवं सांसारिक बंधनों से मुक्त कर सकता है।
आज भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए सुबह स्नान करने के बाद पीले वस्त्र धारण करें। इसके बाद घर में भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति रखकर उन्हें पंचामृत दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से स्नान कराकर स्वच्छ वस्त्र पहनाएं।
अब उन्हें हल्दी—कुमकुम का तिलक लगाएं और अक्षत चढ़ाएं। अब पूरे कमरे और खुद पर गंगाजल छिड़कें। इसके बाद उन्हें पीले फूल एवं पीले रंग की मिठाई और फलों का भोग लगाएं।
अब हाथ जोड़कर विष्णु भगवान का ध्यान करें और हाथों में जल लेकर संकल्प लें। पूजन के बाद जल छोड़ दें और भगवान से सुख—शांति और अपनी मनोकामना पूर्ति की कामना करें। अंत में भगवान की आरती करें।
इस दिन प्याज, बैंगन, मांस-मदिरा, पान-सुपारी और तंबाकू, जुआं खेलने आदि चीजों से परहेज करना चाहिए। इस दिन रात में जागरण का भी विशेष महत्व है। माना जाता है कि जो आज के दिन विष्णु भगवान का ध्यान करता है और रात्रि जागरण करता है वो भौतिक सुखों को प्राप्त करके मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इस दिन गंगा स्नान एवं पूजा—पाठ का भी खास महत्व है। इस दिन कांसे के बर्तन में भोजन नहीं करना चाहिए। साथ ही नमक का भी सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन व्रत रखने वाले अगले दिन सुबह इसका पारण करें। यदि आप व्रत रखने के लिए सामथ्र्यवान नहीं हैं तो पूजा करने के बाद सात्विक भोजन कर सकते हैं।
इस बार पद्मिनी एकादशी की शुरुआत 24 मई 2018 को शाम 06:18 बजे से हुई है। इसकी समाप्ति 25 मई को शाम 05:47 बजे होगी। वहीं व्रत का पारण 26 मई को सुबह 05:29 से 08:13 बजे तक कर सकते हैं।