1.जो लोग अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि के बारे में नहीं जानते हैं वे आज श्राद्ध कार्य कर सकते हैं। आज के दिन उन्हें स्नान करके सूर्य देव को जल चढ़ाना चाहिए। इस दौरान उन्हें गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए।
2.पितरों की आत्म-शांति के लिए पिंडदान किया जाता है, इसलिए चावल और काला तिल मिलाकर पिंड बना लें। अब इनके पांच हिस्से तैयार करें। जिसमें गाय, कुत्ता, कौआ, चींटी और देव शामिल हो। इन पांच हिस्सों को पंचबलि के नाम से भी जाना जाता है।
3.अब इन हिस्सों को अर्पण करने के बाद किसी ब्राम्हण के नेतृत्व में नदी के किनारे बैठकर पिंडदान करें। आप चाहे तो स्वयं भी ये क्रिया कर सकते हैं। अगर आपके आस-पास कोई नदी नहीं है तो आप पीपल के वृक्ष के नीचे भी ये काम कर सकते हैं।
4.इसके लिए आपको एक पात्र में दूध, पानी, काले तिल, जौ और शहद मिलाकर पीपल के वृक्ष की जड़ में चढ़ाना होगा। 5.अब कोई सफ़ेद मिठाई, एक नारियल, कुछ सिक्के और एक जनेऊ पीपल के वृक्ष में अर्पित करें। इस दौरान ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः मंत्र का जाप करते रहें।
6.इस बार पितृ अमावस्या का कुतुप मुहूर्त सुबह 11:45 से दोपअर 12:31 मिनट तक है। जबकि रोहिण मुहूर्त दोपहर 12:31 से 1:17 तक रहेगा। 7.आज के दिन ब्राम्हणों को भोजन कराएं। भोजन सात्विक होना चाहिए। उन्हें अपने सामथ्र्यनुसार दक्षिणा दें। इसके अलावा कन्याओं को खीर-पूड़ी खिलाएं।
8.जो लोग धन प्राप्त करना चाहते हैं उन्हें अमावस्या के दिन शाम को दीपदान करना चाहिए। इसके बाद मां लक्ष्मी और विष्णु भगवान के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाकर उनका ध्यान करना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होंगी और आपको तरक्की मिलेगी।
9.जो लोग परेशानियों से घिरे रहते हैं, उनका कोई काम नहीं बनता है तो उन्हें आज के दिन बजरंगबली के मंदिर में 11 मीठे पूएं रखने चाहिए। साथ ही उनसे कृपा बनाए रखने की प्रार्थना करनी चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में आ रही मुश्किलें हल हो जाएंगी।