1.पंडित आकाश दीक्षित के अनुसार पितृ पक्ष पर शनिवार और अमावस्या का संयोग 20 साल के बाद बन रहा है। इससे पहले यह शुभ संयोग 1999 में बना था। 2.पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध पक्ष के दिन ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ मंत्र का जाप करें। साथ ही सूर्य देव को अघ्र्य दें। इससे पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलेगी।
3.पितृ पक्ष के दिन दान का विशेष महत्व होता है इसलिए गाय, कुत्ता, कौआ, पक्षी और चींटी को आहार जरूर निकालें। इससे पुण्य की प्राप्ति होगी। 4.जो लोग तर्पण का कार्य करेंगे उन्हें हाथ में कुश की अंगूठी पहनकर चांदी के बर्तन में गुड़, दूब, फूल और तिल से श्राद्ध कार्य करना चाहिए।
5.याद रहे कि तर्पण में पूर्वजों के नाम से जल छोड़ते समय अंगूठे का प्रयोग करें। 6.गरुड़पुराण के अनुसार सर्वपितृ अमवास्या के दिन ब्राम्हणों को भोजन कराने से भी पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही इस दिन गायत्री मंत्र पढ़ने से पूर्वजों की आत्मा को शांति मिलती है।
7.सर्वपितृ अमावस्या के दिन पितृ कवच, पितृ सूक्तम आदि का पाठ करने से भी अच्छा रहता है। इससे घर में शांति का वातावरण बनता है। 8.अगर घर में बरक्कत नहीं हो पाती है तो सर्वपितृ अमवास्या के दिन किसी वृद्धाश्रम में अन्न का दान करें। इससे पितरों की आप पर कृपा होगी।
9.कई लोग श्राद्ध पक्ष के अंतिम दिन हवन भी करते हैं। इस दौरान ॐ पितृदेवताभ्यो नम: का जप करते हुए आहूति देना शुभ माना जाता है। 10.सर्वपितृ अमावस्या के दिन सवा किलो काले तिल को एक काले कपड़े में बांधकर दान करने से पितृ दोष से छुटकारा मिलता है।