1.पितृ पक्ष में श्राद्ध के दौरान तिल का प्रयोग महत्वपूर्ण होता है। तिल की उत्पत्ति विष्णु जी से हुई है। ये उनके पसीने से निकला है। मान्यता है कि तर्पण के दौरान काले तिल से पिंडदान करने से मृतक को बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
2.कुश को सबसे शुद्ध माना जाता है और ये भगवान विष्णु का अहम हिस्सा है इसलिए श्राद्ध कार्य में इसका होना बहुत जरूरी होता है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कुश की उत्पति भगवान विष्णु के रोम से हुई है और इसे धारण करके तर्पण करने से मृतक की आत्मा को बैकुंठ की प्राप्ति होती है।
3.तुलसी,गौ एवं काले तिल मोक्ष प्रदान करने वाले हैं। श्राद्ध क्रिया के दौरान इनमें से किसी भी चीज का दान मृतक की आत्मा को मुक्ति दिला सकते हैं। 4.काला तिल यम के देवता को समर्पित होता है। इसलिए पिंड दान करते समय चावल के साथ काला तिल मिलाया जाता है। इससे यम देवता प्रसन्न होते हैं।
5.श्राद्ध क्रिया में तुलसी दल भी महत्वपूर्ण होता है। क्योंकि इन्हें विष्णुप्रिया कहा जाता है। साथ ही तुलसी कभी अपवित्र या बासी नहीं होती है। इसलिए तुलसी दल के प्रयोग से पूर्वज भी प्रसन्न होते हैं।
6.तुलसी दल की महक पितरों को पसंद होती है। इसलिए उन्हें जल चढ़ाते समय तुलसी के पत्ते जरूर डालें। इससे उनकी आत्मा तृप्त होगी। 8.पितृ पक्ष के दौरान काले तिल, लोहा, सोना, कपास, नमक, सप्त धान्य, भूमि और गौ का शुभ माना जाता है। ये अष्ट महादान कहलाते हैं। इससे घर में समृद्धि आती है।
9.श्राद्ध क्रिया में ब्राह्मणों को दान देना एवं उन्हें बिठाकर उनके पैर धोने से भी पूर्वज प्रसन्न होते हैं। इससे कुंडली के दोषों का प्रभाव कम होता है। 10.पितरों की आत्मा की शांति के लिए गीता का दान करना भी अच्छा माना जाता है। साथ ही पितरों के चरणों में सफेद पुष्प चढ़ाएं।