यूं तो फूल देखकर हर किसी का मन प्रसन्न हो जाता है, लेकिन यही फूल अब आपकी बीमारी का इलाज भी कर सकता है। दरअसल सदाबहार का फूल कई औषधीय गुणों से भरपूर। ये डायबिटीज, कैंसर, अनिद्रा आदि बीमारियों को दूर कर सकता है। आज हम आपको इसके फायदे और इस्तेमाल के तरीके बताएंगे।
साल के 12 महीने खिलने वाला सदाबहार का पौधों अक्सर घरों में देखने को मिलते हैं। ये स्वत: भी उग आते हैं। इससे ज्यादा केयर की जरूरत नहीं होती है। सदाबहार के फूल में एलकालॉइड्स, एजमेलीसीन, सरपेन्टीन, रेर्स्पीन, विण्डोली, विनक्रिस्टीन एवं विनब्लास्टिन जैसे प्रमुख क्षार तत्व पाए जाते हैं।
अगर किसी को डायबिटीज है तो सदाबहार की पत्तियों का रस बहुत फायदेमंद साबित होता है। इसके सेवन के लिए 7—8 पत्तियों को धोकर हल्के पानी से पीस लें। अब इसे निचोड़ लें। इस रस को रोजाना एक चम्मच पीने से मधुमेह की शिकायत कम हो जाएगी।
यदि कोई व्यक्ति डिप्थीरिया गले एवं नाक का संक्रमण से ग्रसित हो तो तब भी सदाबहार की पत्तियां बहुत उपयोगी साबित होती है। इसमें विंडोलीन नामक तत्व पाया जाता है। इसके रस को रोज सुबह एवं शाम को रोगी को पिलाने से समस्या खत्म हो जाएगी।
सदाबहार की पत्तियों का रस पीने से तंत्रिका तंत्र भी ठीक रहते हैं। इससे पूरी बॉडी के पार्ट्स सुचारू तरीके से काम करते हैं। इस पौधे की जड़ों की छाल का पाउडर खाने से ब्लड प्रेशर की दिक्कत भी दूर होती है।
सदाबहार की पत्तियों का रस दिमागी बीमारियों को ठीक करने में भी बहुत कारगर है। इसमें मौजूद पोषक तत्व अनिद्रा, अवसाद, पागलपन और एनजाइटी जैसी बीमारियों से बचाता है। यदि किसी व्यक्ति को नींद न आने व टेंशन से सिर भारी होने की शिकायत है तो इसके एक चम्मच रस को शहद के साथ मिलाकर पीने से बीमारी ठीक हो जाएगी।
इसका रस महिलाओं के पीरियड्स में होने वाले दर्द एवं अनियमितता को भी दूर करता है। इसे रोजाना सुबह एवं शाम को पीने से ज्यादा हो रहा खून का बहाव कम होता है। जिसके चलते कमजोरी नहीं लगती है।
सदाबहार की पत्तियों का रस सांप एवं बिच्छू के काटने पर जहर को फैलने से रोकने एवं घाव भरने में भी कारगर है। इसके एक चम्मच रस को पीने एवं इसे प्रभावित स्थान पर लगाने से जहर पूरे शरीर तक नहीं फैल पाता है।
सदाबहार का रस मांसपेशियों के खिंचाव को कम करता है। साथ ही इसके जड़ की छाल हैजा रोग फैलाने वाले वाइब्रो कोलोरी नामक रसायन को उत्पन्न होने से रोकता है। इसका रस एक दर्दनाशक के तौर पर भी काम करता है।
सदाबहार का पौधा अपोनसाईनसियाई परिवार का है। कनेर, प्लूमेरिया फ्रैंगीपानी, सप्तपर्णीय करौंदा, ट्रेक्लोस्पमर्म, ब्यूमेन्शया ग्रैन्डीफ्लोरा, एलामंडाकथार्टिका जैसे पौधे भी इसी प्रजाती का हिस्सा हैं। सदाबहार के रस का स्वाद कसैला होता है।