Mahabharat : महाभारत के अनुसार सहदेव ने दुर्योधन को युद्ध का शुभ मुहूर्त बताया था
इरावन की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए श्रीकृष्ण ने मोहिनी बनकर किया था उनसे विवाह
आखिरी सांस लेते समय दुर्योधन की उठी हुई तीन अंगुलियों का ये था राज, जानें महाभारत से जुड़े 10 रहस्य
नई दिल्ली। महाभारत एक ऐसा ग्रंथ है जिस पर जितना विचार किया जाए उतना ही कम है। इससे जुड़ी मान्यताएं और किस्से भी कई है। इनमें दुर्योधन की मौत के रहस्य से लेकर दुर्योधन के जन्म तक की कई कहानियां शामिल हैं। आज हम आपको महाभारत से जुड़े कुछ ऐसे ही रोचक और अनसुनी बातों के बारे में बताएंगे।
1.पौराणिक धर्मग्रंथों के अनुसार जब दुर्योधन कुरूक्षेत्र के युद्ध में आखिरी सांस से ले रहा था। उस समय उसने अपनी तीन उंगलियां उठा रखी थी। बताया जाता है कि उन तीन अंगुलियां का मतलब था उनके द्वारा की गई तीन गलतियां। दुर्योधन के अनुसार अगर वे युद्ध में वो तीन भूल नहीं करते तो वे जीत जाते। हालांकि श्रीकृष्ण ने उनके इस तथ्य को स्वीकार नहीं किया था।
घर में अपनाएं वास्तु के ये 10 टिप्स, कभी नहीं होगी धन की कमी 2.द्रोणाचार्य के जन्म को लेकर भी कई अलग-अलग मान्यताएं हैं। बताया जाता है कि वे भारत के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी रहे हैं। क्योंकि द्रोणाचार्य के पिता महर्षि भारद्वाज को एक शाम को गंगा नदी के किनारे एक अपसरा दिखी थी। उन्हें देखकर वे मोहित हो गए थे। उस वक्त ऋषि के शरीर से विशेष द्रव्य निकलें जिसक उन्होंने मिट्टी के बर्तन में जमा करके अंधेरे में रख दिया था। इसी से द्रोणाचार्य का जन्म हुआ था। हालांकि इस बात की किसी को आज तक सटीक जानकारी नहीं है।
3.महाभारत में एक अन्य कथा के अनुसार अर्जुन के बेटे इरावन ने अपने पिता की जीत के लिए खुद की बलि दी थी। मगर मरने से पहले उसकी इच्छा विवाह करने की थी। चूंकि इरावन मरने वाला था इसलिए कोई स्त्री उससे विवाह नहीं करना चाहती थी। ऐसे में श्रीकृष्ण ने मोहिनी का रूप धारण करके उससे विवाह किया था।
4.सहदेव बहुत बुद्धिमान था। वह भविष्य देख लेता था। उनके इसी गुण के चलते दुर्योधन उनसे युद्ध की शुरूआत का सही मुहूर्त पूछने गए थे। चूंकि दुर्योधन और सहदेव शत्रु से इसके बावजूद सहदेव ने उन्हें सही समय बताया था।
5.धृतराष्ट्र के एक बेटे का नाम युयत्सु था। बताया जाता है कि उसकी मां एक दासी थी, जो धृतराष्ट्र की करीबी थी। 6.महाभारत के युद्ध में उडुपी के राजा ने कौरवों और पांडवों की इतनी बड़ी सेना को भोजन कराया था। युद्ध के 18 दिन चलने के बावजूद भोजन एक भी दिन कम नहीं पड़ा। तब राजा ने बताया कि श्रीकृष्ण के भोजन के अनुपात से उन्हें पता चल जाता था कि अगले दिन कितने लोग मरने वाले हैं। ऐसे में भोजन सीमित लोगों के लिए ही बनाया जाता था।
9.कर्ण को दानवीर कहा जाता है। उसकी इसी नैतिकता को परखने के लिए श्रीकृष्ण ने उसकी परीक्षा ली थी। श्रीकृष्ण कर्ण की मृत्यु से पहले उसके सामने ब्राम्हण का वेश बनाकर गए और उससे सोने की मांग की। चूंकि स्वर्ण कर्ण के दांत में लगा हुआ था तब उसने ब्राम्हण से दांत तोड़ने की बात कही। तब ब्राम्हण ने इससे इंकार कर दिया। ऐसे में कर्ण ने खुद अपना दांत तोड़ दिया। चूंकि उस पर खून लगा था इसलिए ब्राम्हण ने इसे लेने से मना कर दिया। ऐसे में कर्ण ने बाण मारकर बारिश कराई, जिससे उन्होंने दांत धुलकर ब्राम्हण को दे दिया।
10.बलराम चाहते थे कि उनकी बेटी वत्सला की शादी दुर्योधन के बेटे लक्ष्मण से हो। मगर वत्सला और अभिमन्यु से प्रेम करती थी। इसलिए अभिमन्यु ने वत्सला से विवाह करने के लिए लक्ष्मण को खूब डराया था। इसमें अभिमन्यू ने घटोत्कच्च की मदद ली थी।