दशाश्वमेघ घाट काशी का प्रसिद्ध घाट है। प्राचीन ग्रंथो के मुताबिक, राजा दिवोदास की ओर से यहां दस अश्वमेध यज्ञ कराया गया गया था। इसलिए इसका नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा। यहां रोजाना देशी-विदेशी सैलानी घूमने आते हैं। यहां की शाम की गंगा आरती काफी प्रसिद्ध है।
2. काशी विश्वनाथ मंदिर
वाराणसी के गोदोलिया स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि एक बार इस मंदिर के दर्शन करने और पवित्र गंगा में स्नान कर लेने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। यहां बाबा विश्वनाथ के दर्शन करने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है।काशी हिन्दू विश्वविद्यालय परिसर में यह मंदिर बना है। इसे शिव मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। अगर आप वाराणसी की यात्रा पर हैं तो इसके दर्शन करना मत भूलिएगा।
5. सारनाथ
सारनाथ वाराणसी से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह स्थान बौद्ध और जैन धर्म के तीर्थ यात्रियों के लिए महत्वपूर्ण है। गौतम बुद्ध ने अपना पहला धर्मोपदेश यहीं दिया था। यहां बुद्ध की विशालकाय प्रतिमा है , जिसे स्टेचू ऑफ़ स्टैंडिंग बुद्धा कहा जाता है।
दुर्गाकुंड स्थित संकट मोचन मंदिर भगवान हनुमान का पवित्र मंदिर है। संकट मोचन का अर्थ है परेशानियों अथवा दुखों को हरने वाला। अगर आप वाराणसी घूमने आएं तो इस मंदिर का जरूर दर्शन करें।
8. भारत माता मंदिर
भारत माता मंदिर वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विश्वविद्यालय परिसर में स्थित है। इसका निर्माण डॉक्टर शिवप्रसाद गुप्ता ने 1936 में कराया था। इस मन्दिर की खासियत है कि इसमें किसी देवी-देवता का कोई चित्र या प्रतिमा नहीं है, बल्कि संगमरमर पर उकेरा गया अविभाजित भारत का त्रिआयामी भौगोलिक मानचित्र है। इस मानचित्र में पर्वत, पठार, नदियाँ और सागर सभी को बखूबी दर्शाया गया है।
9. मणिकर्णिका घाट
यह घाट वाराणसी में गंगा नहीं के तट पर स्थित है। यह प्रसिद्ध घाटों में से एक है। इसे मोक्ष प्राप्ति का स्थल कहा जाता है। यहां चिताएं जलाई जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां चिंता की आग कभी बुझती नहीं।काशी हिंदू विश्वविद्यालय जिसे BHU ने नाम से भी जाना जाता है। यह वाराणसी का केन्द्रीय विश्वविद्यालय है। इसकी स्थापना महामना पंडित मदन मोहन मालवीय ने सन् 1916 में की थी। यहां पढ़ने हर साल विदेशों से सैकड़ो स्टूडेंट आते हैं। विश्वविद्यालय की परिसर एकड़ो में फैला हुई है।