1.काला जादू करने को लेकर बंगाल का नाम सबसे पहले आता है। कहते हैं यहां के निमतला घाट में आज भी ये जादू-टोना होता है। इस क्षेत्र से गुजरने वाले लोग इस चीज को महसूस करते हैं, क्योंकि यहां अघोरी भूतों से साक्षात बात करते हैं।
2.बताया जाता है कि इस घाट में देर रात को अघोरी काले-जादू की तांत्रिक प्रक्रियाएं पूरी करते हैं। वो यहां जलाई गई लाशों की अस्थियों को लेकर अपनी शक्तियां बढ़ाते हैं। साथ ही मुर्दे के बचे हुए मांस खाते हैं।
3.केरल के पेरिंगोटुकारा में भी खूब तांत्रिक क्रियाएं होती हैं। बताया जाता है कि इस जगह में त्रिशूर नामक एक गांव है यहां सबसे ज्यादा जादू-टोना किया जाता है। इस बात का सबूत यहां बने चट्टानों पर मिलता है।
4.केरल के इस गांव में कुट्टिचट्टन नामक चट्टान है। जिसे स्थानीय लोग भगवान विष्णु का अवतार मानते हैं जो भैंस की सवारी करते हैं और जीवन की परेशानियों को दूर करते हैं। इसी मान्यता के साथ पुजारी इस चट्टान के पास कई तरह की पूजा करते हैं।
5.असम का मायोंग गांव भी काले जादू का गढ़ माना जाता है। लोग यहां से गुजरने से भी डरते हैं। बताया जाता है कि पूरे विश्व में काले जादू की शुरुआत इसी जगह से हुई है।
6.मायोंग गांव गुवाहाटी से करीब 40 किमी दूर बसा हुआ है। इस गांव में लोगों की बीमारी दूर करने से लेकर मुर्दे को जिंदा करने जैसे अंधविश्वास भरे कार्यों को बढ़ावा मिलता है। 7.यूं तो वाराणसी मोक्षदायिनी गंगा की वजह से जाना जाता है, लेकिन यहां के फेमस होने की एक और वजह है वो है तंत्र साधना। यहां गंग तट पर बने कई घाटों एवं शमशान में तांत्रिक जादू-टोना किया करते हैं।
8.वे यहां के शमशान में मां काली और भगवान शिव के विकराल स्वरूप की पूजा करते हैं। वे भगवान को प्रसन्न करने के लिए मदिरा और मांस भी भेंट करते हैं। लोगों का कहना है कि यहां दूसरों को वश में करने के लिए विशेष पूजा कराई जाती है।
9.पुराने हैराबाद में बसे मोघुलपुरा, छतरिंका और शाहिलबंदा को भी काले जादू का गढ़ माना जाता है। कहते हैं कि यहां रहने वालों का अक्सर भूत-प्रेत से सामना होता रहता है। क्योंकि यहां गैर कानूनी तरीके से तांत्रिक क्रियाओं को बढ़ावा दिया जाता है।
10.इस जगह काले जादू का खेल एक बिजनेस बन चुका है। यहां तांत्रिक लोगों के सपने पूरे करने का ख्वाब दिखाते हैं और उनसे मनचाही रकम वसूलते हैं। लोग मुसीबतों से छुटकारा पाने के लिए भी यहां काफी दूर-दूर से आते हैं। बताया जाता है कि यहां ज्यादातर लकड़ी की गुड़िया का टोटका किया जाता है।