Published: Apr 14, 2018 11:40:38 am
जमील खान
विश्व में कुल 3.2 करोड़ बच्चे बहरेपन का शिकार हैं, जिसमें से 60 फीसदी को बचपन में इस बीमारी से बचाया जा सकता था।
देश में हर साल 27 हजार से ज्यादा नवजात सुनने में असमर्थता के साथ पैदा होते हैं, वहीं विश्व में इनकी संख्या 3.6 करोड़ से ज्यादा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी 2012 के आंकड़ों में इस बात का खुलासा हुआ है। सुनने में असमर्थता भारत में बड़े पैमाने पर एक उपेक्षित स्थिति है। भारत में सुनने में असमर्थ लोगों व बच्चों के लिए असली मुद्दा सुविधाओं की अपर्याप्तता है। मंशा होने के बावजूद सेवा और सुविधाओं की कमी ने सुनने में असमर्थ भारतीय समुदाय को प्रभावित किया है।