1.भगवान शिव एवं देवी पार्वती का ये मंदिर रुद्रप्रयाग में स्थित है। इसे त्रियुगी नारायण के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि सतयुग के काल में भगवान भोलेनाथ ने देवी पार्वती से यहीं शादी की थी।
2.पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार उस वक्त ये जगह हिमवत की राजधानी थी। हर साल सितंबर महीने में यहां बावन द्वादशी के दिन मेले का आयोजन किया जाता है। 3.इस मंदिर के थोड़ी दूर पर ही गौरी कुंड भी स्थित है। हैरानी की बात यह है कि इस कुंड की अग्नि कभी बुझती नहीं है। ये हमेशा रात-दिन जलती रहती है।
4.मान्यता है कि जो भी भक्त इस मंदिर के दर्शन करने आता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। उसके जीवन में कोई भी कष्ट नहीं रहता है। 5.स्थानीय लोगों के मुताबिक ये मंदिर निसंतान दंपत्तियों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। जो लोग भी संतान की कामना के साथ यहां दर्शन करते हैं उनकी गोद जल्द ही भर जाती है।
6.चूंकि इस जगह भगवान शिव एवं पार्वती का विवाह हुआ था इसलिए ये जगह काफी सिद्ध मानी जाती है। यहां पति-पत्नी के एक साथ माथा टेकने पर देवी मां की उन पर कृपा होती है। इससे पति की आयु लंबी होती है और वैवाहिक जीवन सुखमय बनता है।
8.त्रियुगी नारायण के मंदिर की महिमा के किस्से दूर-दूर तक प्रसिद्ध हैं। तभी यहां देश के विभिन्न कोनों से लोग दर्शन के लिए आते हैं। 9.मान्यता है कि जो भक्त केदारनाथ की यात्रा करने से पहले यहां के दर्शन करता है उस पर भोलेनाथ की विशेष कृपा होती है। ऐसे लोग जीवन में बहुत तरक्की करते हैं।
10.जो लोग नौकरी पाना चाहते हैं या समस्याओं से छुटकारा पाना चाहते हैं उन्हें भी इस मंदिर के दर्शन करने से लाभ होता है।