कृष्ण पक्ष के आखिरी दिन पड़ने वाली अमावस्या को हरियाली अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस बार ये 11 अगस्त यानि शनिवार को पड़ रही है। इस दिन पौधे लगाना, शिव जी एवं कृष्ण भगवान के दर्शन करने को अत्यन्त शुभ माना जाता है। इस बार की हरियाली अमावस्या इसलिए भी खास है क्योंकि इस दिन साल का आखरी सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है। आज हम आपको इस दिन किए जाने वाले विशेष उपायों के बारे में बताएंगे।
हिंदू पंचांग के अनुसार हरियाली तीज का महत्व इसलिए इतना ज्यादा है क्योंकि इस दिन देवी—देवताओं का वास वृक्षों में होता है। खासतौर पर पीपल के पेड़ में ब्रम्हा, विष्णु एवं महेश वास करते हैं। ऐसे में इस दिन पीपल के वृक्ष की परिक्रमा करना एवं सरसों के तेल का दीपक जलाना बहुत शुभ माना जाता है।
चूंकि अमावस्या शनिवार के दिन पड़ रही है इसलिए इस दिन काले कुत्ते को गेंहू की रोटी में सरसों का तेल लगाकर खिलाना अच्छा रहता है। इससे शनि दोष का प्रभाव कम होता है, साथ ही किस्मत का भी साथ मिलता है।
देवी—देवताओं का आशीर्वाद लेने एवं धन की प्राप्ति के लिए हरियाली अमावस्या के दिन सुबह पीपल के वृक्ष का पूजन करें। इसके बाद पेड़ पर पांच एवं सात मालपुएं का भोग लगाएं।
इस दिन आवंला के पेड़ पर भगवान लक्ष्मी—नारायण का वास होता है। इस दिन गेंहू, ज्वार, मक्का आदि की सांकेतिक बुआई भी की जाती है। इसलिए इस दिन आंवले के पेड़ पर गुड़ एवं गेंहू का भोग अर्पण करना चाहिए। इससे जीवन खुशहाल रहता है।
इस दिन स्नान के बाद पौधरोपण करना भी बेहद लाभकारी माना जाता है। घर में खुशहाली लाने के लिए पीपल, बरगद जैसे छायादार पेड़ लगाने चाहिए। जबकि घर की शांति, तरक्की एवं धन प्राप्ति के लिए केला एवं तुलसी का पौधा लगाएं।
हरियाली अमावस्या पर शिव जी के दर्शन से भी बहुत लाभ मिलता है। इससे वैवाहिक जीवन बेहतर रहता है। साथ ही व्यक्ति को समाज में मान—सम्मान मिलता है। शिव जी को प्रसन्न करने के लिए उन्हें शाम के समय चावल के खीर का भोग लगाना चाहिए।
इस दिन रात को घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इससे घर में मौजूद नेगेटिव एनर्जी दूर होती है और घर में मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इससे घर में धन—धान्य की वृद्धि होती है।
हरियाली अमावस्या पर शाम के समय हनुमान जी को चमेली का तेल अर्पित करना भी शुभ माना जाता है। इससे हनुमान जी प्रसन्न होते हैं, जिससे व्यक्ति पराक्रमी बनता है। ऐसे व्यक्ति की समाज में प्रतिष्ठा बढती है।
अमावस्या की शाम को तुलसी के वृक्ष के पास दीपक जलाना चाहिए। इसमें थोड़े काले तिल भी डालें। चूंकि तुलसी जी का विवाह शाली्राम यानि विष्णु जी से हुआ था और उनका स्वरूप श्याम वर्ण का था। इसलिए तिल डालकर दीपक जलाने से व्यक्ति की तरक्की होती है। साथ ही उसके परिवार के सदस्यों में भी सौहार्द का महौल रहता है।