1- शत्रुघ्न सिन्हा का सबसे जोरदार डायलॉग था, “अबे खामोश”। वे ज्यादातर हर फिल्म में इस डायलॉग को बोलते थे। 2- अमीरों से गरीबों की हड्डियां तो चबाई जा सकती हैं, उनके घर की रोटियां नहीं। फिल्म- हमसे न टकराना (1990)
3- अपनी लाशों से हम तारीखें आबाद रखें, वो लड़ाई हो अंग्रेज जिससे याद रखे। फिल्म- क्रांति (1981) 4- जिसके सर पर तुझ जैसे दोस्त की दोस्ती का साया हो, उसके लिए बनकर आई मौत, उसके दुश्मन की मौत बन जाती है।फिल्म- नसीब (1981)
5- जली को आग कहते हैं, बुझी को राख कहते हैं, जिस राख से बारूद बने, उसे विश्वनाथ करते हैं।फिल्म- विश्वनाथ (1978) 6- आज के जमाने में तो बेईमानी ही एक ऐसा धंधा रह गया है, जो पूरी ईमानदारी के साथ किया जाता है।फिल्म- कालीचरण (1976)
7- जब दो शेर आमने-सामने खड़े हों, तो भेड़िये उनके आस-पास नहीं रहते। फिल्म- बेताज बादशाह (1994) 8- पहली गलती माफ कर देता हूं… दूसरी बर्दाश्त नहीं करता। फिल्म- असली- नकली (1986) 9- आज कल जो जितना ज्यादा नमक खाता है, उतनी ही ज्यादा नमक ***** करता है।फिल्म- असली- नकली (1986)
10- मैं तेरी इतनी बोटियां करूंगा कि आज गांव का कोई भी कुत्ता भूखा नहीं सोएगा।फिल्म- जीने नहीं दूंगा (1984)