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11 बार इस सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार के लिए नामित हुए थे पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू , जानें उनके जीवन के 10 खास बातें

locationनई दिल्लीPublished: May 27, 2019 01:13:00 pm

नोबेल पुरस्कार के लिए 11 बार नामाँकित हुए थे पंडित नेहरू।
कभी नहीं मिला था इस पुरस्कार को पाने का मौका।
देश की स्वतंत्रता के लिए हुए कई आंदोलनो में रही थी खास भूमिका।

11 बार इस सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार के लिए नामित हुए थे पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू , लेकिन कभी नहीं कर पाए हासिल जाने उनके जीवन के ऐसे ही 10 खास क़िस्से

11 बार इस सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार के लिए नामित हुए थे पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू , लेकिन कभी नहीं कर पाए हासिल जाने उनके जीवन के ऐसे ही 10 खास क़िस्से

नई दिल्ली। भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की आज 55वीं पुण्यतिथि है। आज ही के दिन 27 मई साल 1964 को उनका निधन हुआ था। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में पंडित नेहरू की खास भूमिका रही और आज़ादी के बाद उन्हे आज़ाद भारत का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया। पंडित नेहरू को ना केवल पहले प्रधानमंत्री बनने का बल्कि लाल किले से झंड़ा फहराने वाले पहले प्रधानमंत्री का भी गौरव हासिल हुआ। राजनीति में पंडित जवाहरलाल नेहरू शुरू से ही बहुत सक्रिय थे।

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1.पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म एक नामी और समृद्ध परिवार में हुआ था उनके पिता रुतबेदार वकील और इंडियन नेशनल कांग्रेस की लीडर थे।

2.कहा जाता है कि साल 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद जवाहरलाल नेहरू ने देश की राजनीति को नई दिशा देना का काम किया। उन्हे इस कांड की जांच के लिए गठित समिति का सदस्य बनाया गया था।

3.प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होने देश को विकास के रास्ते पर अग्रसर करने के लिए कई नियम बनाए और इन नियमों से आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक विकास को नई दिशा भी दी।

4.आज़ादी के आंदोलन के दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू को करीब 9 बार जेल भी जाना पड़ा। इसपर उनकी किताब ग्लिंपसेस ऑफ वर्ल्ड हिस्ट्री’ में भी जिक्र है।

5.साल 1950 से 1955 तक करीब 11 बार पंडित जवाहरलाल नेहरू का नाम नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नमित किया गया लेकिन इसे प्राप्त करने का सौभाग्य उन्हे कभी नहीं मिला।

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6.पंडित नेहरू को फिल्मों का भी बहुत शौक था इसके अलावा उन्हे सुरैया के गाए हुए गानों और गज़लों को सुनने का भी बहुत शौक था।

7.जवाहरलाल नेहरू ने सैन्य संसाधनों के अनावश्यक विस्तार को रोकने के लिए चीन के साथ पंचशील का समझौता किया लेकिन नेहरू की गुट निरपेक्षता की नीति अमरीका को रास नहीं आयी।

8.विश्व शांति के लिए 1948 में जम्मू कश्मीर पर हुए पाकिस्तानी हमले को भी जवाहरलाल नेहरू ने नज़रअंदाज़ कर दिया था।

9.1962 में चीन के साथ हुए युद्ध को भी पंडित नेहरू ने आखिरी वक्त तक टालने की कोशिश की लेकिन चीन ने नेहरू की छवि खराब करने के लिए उन्ही के ऊपर युद्ध थोप दिया। इसी कारण से नेहरू आखिरी वक्त पर नोबल पुरस्कार पाने से रह गए।

10.साल 1955 में आखिरी बार जवाहरलाल नेहरू को नोबल पुरस्कार के लिए नामाँकित किया गया लेकिन उस वक्त भी उन्हे निराशा ही झेलनी पड़ी थी।

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