हिंदू धर्म में विवाह को एक पवित्र कार्य माना गया है। इसके लिए कई रीति—रिवाज भी निर्धारित किए गए हैं। बदलते दौर में कई चीजों में बदलाव हुए हैं। दूसरी कास्ट में शादी करने के अलावा दहेज प्रथा को खत्म करने की ओर भी कदम बढ़ाए गए हैं, लेकिन शादी से जुड़ी वो प्राचीन परंपराएं आज भी निभाई जा रही है, जिसमें दुल्हन—दूल्हे के बायीं ओर खड़ी होती है। तो क्या है इस रस्म की वजह और महत्व आइए जानते हैं।
हिंदू धर्म में विवाह के समय से वधू को वर के बायीं ओर बैठाया जाता है और जिंदगीभर ये परंपरा निभाई जाती है। इस रस्म को निभाने का प्रमुख कारण हिंदू शास्त्रों में इसकी मान्यता का होना है।
शास्त्रों के अनुसार पत्नी को वामांगी माना जाता है। उनके अनुसार स्त्रियों का बायां अंग शुभ होता है, इसलिए उन्हें दूल्हे के बगल में बायीं तरफ रखा जाता है।
हस्तरेखा विज्ञान के तहत पति का दायां तथा पत्नी का बायां हाथ देखा जाता है। क्योंकि मानव शरीर में मस्तिष्क का बायां हिस्सा उसकी रचनात्मकता तथा दायां हिस्सा कर्म का प्रतीक होता है।
स्त्री को प्रेम और ममता का प्रतीक माना जाता है। इसके अलावा उनमें रचनात्मकता बचपन से ही होती है इसलिए पत्नी का बायीं ओर होना शुभ माना जाता है। इससे कार्यों में शुभता आती है।
विवाह के अलावा हिंदू धर्म में खास पर्वों, पूजा—पाठ एवं अन्य धार्मिक अनुष्ठानों में भी स्त्री को पुरुष के बायीं ओर बिठाया जाता है। इसका कारण धार्मिक कार्य को बिना किसी विघ्न के पूर्ण किया जाना होता है।
महिलाएं हमेशा बायीं ओर इसलिए भी होती हैं क्योंकि वो अपने पति को हर चीज में प्रथामिकता देना चाहती हैं। वहीं पुरुष का कर्तव्य होता है कि वो अपनी पत्नी की जिम्मेदारियां उठाए। इसलिए उसके दायीं ओर होने का मतलब है कि वो दृढ़ता के साथ अपने रिश्ते को निभाएगा और हमेशा स्त्री का सम्मान करेगा।
इसके अलावा किसी धार्मिक अनुष्ठान में पत्नी को इसलिए पति के बायीं ओर बिठाते हैं ताकि दोनों के गुणों का मिलान हो सके। इसके फलस्वरूप उन्हें उनके कार्य में सफलता मिल सके।
विवाह के दौरान जब महिला और पुरुष फेरों के लिए खड़े होते हैं, तब भी महिलाओं का बायां तथा पुरुषों का दायां हाथ आपस में मिलवाया जाता है। ताकि जीवन के हर मोड़ पर उनमें प्रेम व सद्भाव बना रहें। साथ ही वे एक—दूसरे को सहारा दे सके।
दुल्हन—दूल्हे के बायीं ओर इसलिए भी रहती हैं क्योंकि लड़के का काम लड़की की जिम्मेदारी उठाना होता है। लड़के का पहले बैठना इस बात को दर्शाता है कि वो जीवभर लड़की की रक्षा करेगा और उस पर आने वाली मुसीबतों का सामना पहले वो करेगा।