शादी के बाद हर लड़की को अपने माता—पिता का घर छोड़कर अपने ससुराल जाना पड़ता है। कहते हैं कि शादी के बाद लड़कियों के लिए उनका मायका पराया हो जाता है और वो अपने ससुराल वालों की हो जाती हैं। मगर लड़कियों के अपने घर को छोड़कर दूसरे घर जाने की ये परंपरा कैसे शुरू हुई और क्यों सिर्फ उन्हीं को देना होता है बलिदान, आइए जानते हैं इससे जुड़ी कुछ अहम बातें।
शादी को 16 संस्कारों में सबसे अहम माना जाता है। कहते हैं कि विवाह दो व्यक्तियों नहीं, बल्कि दो आत्माओं का मिलन होता है। इससे स्त्री और पुरुष एक—दूसरे के साथ सात जन्मों के लिए जुड़ जाते हैं।
लड़कियों के अपने मायके छोड़ने की ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार ये एक ऐसी प्रक्रिया जिसके तहत लड़की के पिता उसे कन्यादान के तौर पर लड़के को सौंपते हैं। माना जाता है कि दुनिया में सबसे बड़ा ऋण कन्या का होता है। इसलिए शादी के समय एक पिता अपने इस अहम हिस्से का दान कर संसार के बंधनों से मुक्ति पाता है।
लड़कियों के अपने मायके छोड़ने की ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। वैदिक शास्त्रों के अनुसार ये एक ऐसी प्रक्रिया जिसके तहत लड़की के पिता उसे कन्यादान के तौर पर लड़के को सौंपते हैं। माना जाता है कि दुनिया में सबसे बड़ा ऋण कन्या का होता है। इसलिए शादी के समय एक पिता अपने इस अहम हिस्से का दान कर संसार के बंधनों से मुक्ति पाता है।
मनु संहिता के अनुसार कन्यादान के समय एक पिता अपनी पुत्री को दूसरों को हवाले करते समय उसे उसका ध्यान रखने का आग्रह करता है। वो चाहता है कि जिस तरह जीवन के इस पड़ाव तक उसने अपने बेटी को अच्छे से रखा है, वैसे ही लड़का और उसके घरवाले भी उनकी बेटी को ठीक से रखें।
अथर्ववेद में महिलाओं की तुलना एक नदी से की गई है। इसके अनुसार जिस प्रकार नदी एक स्थान पर नहीं रुकती है, बल्कि बहकर सागर से मिलती है। उसी तरह लड़कियों को भी अपने मायके से ससुराल आना ही पड़ता है।
शास्त्रों के अनुसार लड़कियों को देवी का रूप माना गया है। इसलिए जब कोई स्त्री ससुराल में प्रवेश करती है तो वहां सुख—समृद्धि लेकर जाती है। वो अपने सतकर्मों से वहां पवित्रता घोलती है।
मनु संहिता के अनुसार एक पत्नी शादी के बाद अपने पति के घर ही जाती है। इसके बाद पति की यह जिम्मेदारी बन जाती है कि वह अपनी पत्नी की सारी उम्र रक्षा करें और उसकी छोटी से छोटी ख़ुशी का खयाल रखें।
पुराणों में स्त्री को देवी लक्ष्मी, अन्नपूर्णा और शक्ति का स्वरूप माना जाता है। उनके अनुसार शादी के बाद लड़की की किस्मत लड़के से जुड़ जाती है। इसलिए उसकी तरक्की से उसके पति एवं ससुराल वालों की भी उन्नति होती है।
शास्त्रों के अनुसार विवाह एक अत्यन्त शुभ कार्य होता है और किसी लड़की को शादी के बाद घर लाकर उसकी सेवा करने से पुण्य मिलता है, लेकिन लड़की को कष्ट देने और उसे अपने माता—पिता के घर छोड़ देने वाले लोगों से भगवान रूठ जाते हैं। ये एक पाप माना जाता है।
स्त्री को संसार की जननी कहा जाता है। उस पर वंश बढ़ाने की जिम्मेदारी होती है। इसलिए शादी के बाद लड़की को अपना मायका छोड़ना पड़ता है।