1.गणेश जी के पूजन में हमेशा दूर्वा चढ़ाई जाती है। इसके बिना पूजन अधूरा रहता है। गजानन को 21 गांठों वाली दूर्वा की माला मस्तक पर चढ़ाई जाती है। इसके पीछे पौराणिक मान्यता छिपी हुई है। इसके तहत गणेश जी के पेट की जलन को शांत करने के लिए उन्हें दूर्बा खिलाई गई थी।
2.पौराणिक कथाओं के अनुसार प्राचीन काल में अनलासुर नाम का एक दैत्य था। जिसके आतंक से सब परेशान थे। उससे मुक्ति पाने के लिए ऋषि—मुनियों समेत देवताओं ने गणेश जी का आवाहन किया था। तब गणेश जी ने असुर को निकल लिया था। इससे उनके पेट में जलन होने लगी थी। इसी को शांत करने के लिए कश्यप ऋषि ने उन्हें दूर्वा खाने को दी थी।
3.कथा के अनुसार ऋषि ने उन्हें 21 गांठों वाली दूर्वा खाने को दी थी। इसे खाते ही गणेश जी की समस्या दूर हो गई थी। इसीलिए गणपति पूजन में 21 गांठों वाली दूर्वा चढ़ाना आवश्यकत होता है।
4.गणेश जी को इसे मस्तक पर इसलिए चढ़ाया जाता है क्योंकि दूर्वा में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं। जिससे शरीर की गर्मी कम होती है। ये दिमाग को भी ठंडा रखने में मदद करता है। इसलिए गजानन के गुस्से को शांत रखने एवं उनकी कृपा पाने के लिए उनके मस्तक पर दूर्बा चढ़ाया जाता है।
5.गजानन को दूर्वा अर्पित करते समय ॐ गणाधिपाय नमः ,ॐ उमापुत्राय नमः ,ॐ विघ्ननाशनाय नमः मं. का 11 व 21 मंत्र जाप करें। इसके अलावा आप ॐ विनायकाय नमः मंत्र का भी जाप कर सकते हैं। इस मंत्र का जाप करते समय आप एक—एक दूर्वा चढ़ाएं।
6.विनायक को दूर्बा हमेशा जोड़े में चढ़ानी चाहिए यानि 22 दूर्बा के लिए 11 का जोड़ा बनान चाहिए। इससे गणेश जी प्रसन्न होते हैं। साथ ही सुख—समपत्ति की प्राप्ति होती है। 7.गणेश जी को अर्पित की जाने वाली दूर्वा हमेशा साफ जगह पर उगी हुई होनी चाहिए। इसके लिए आप मंदिर व बगीचे की दूर्वा का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप कभी भी ऐसी जगह की दूर्वा अर्पित न करें जहां गंदगी हो या नाली का पानी बहकर आता हो। दूर्वा को अर्पित करने से पहले इसे गंगाजल से अवश्य धो लें।
8.मनोकामना की पूर्ति एवं नौकरी और व्यापार में सफलता पाने के लिए आप 11 व 21 बार ऊं गणाधिपाय नमः मंत्र का जाप करें। इससे जल्द ही आपकी मनोकामना पूरी होगी। 9.अगर आपकी शादी नहीं हो रही है या संतान प्राप्ति में दिक्कत है तो आप इस गणेश चतुर्थी को ऊं उमापुत्राय नमः मंत्र का जाप करें। इससे आपकी समस्याएं दूर हो जाएंगी।
10.यदि आप पर लगातार मुसीबतें आ रही हैं और आप लाख कोशिशों के बावजूद इससे उबर नहीं पा रहे हैं तो ऊं विघ्ननाशनाय नमः मंत्र का जाप करें। इस दौरान आप गणेश जी को मोदक का भोग लगाएं।