1.इस गांव का नाम कुआं खेड़ा है। ये आगरा में ताजमहल से करीब 2 किलोमीटर दूर स्थित है। यहां दूध बेचना पाप समझा जाता है। इस सिलसिले में गांववालों की अलग-अलग मानयताएं हैं। 2.लोगों के मुताबिक जब भी किसी ने यहां दूध बेचने की कोशिश की है, उसके साथ कुछ बुरा हुआ है। ऐसे में कभी पशु दूध देना बंद कर देते हैं या वे मर जाते हैं आदि अपशगुन होते रहते हैं।
3.कुआं खेड़ा गांव में करीब 9 हजार लोग रहते हैं और ज्यादातर घरों में गाय-भैंस पले हैं। इसके चलते रोजाना यहां करीब 30 हजार लीटर दूध का उत्पादन होता है। 4.पुरानी मान्ताओं के चलते गांव वाले इतने दूध का उत्पादन होने के बावजूद इसे बेचते नहीं है, बल्कि इसे जरूरतमंदों को दान कर देते हैं। इसके अलावा ये एक गांव से दूसरे गांवों में इसका आदान-प्रदान करते हैं।
वर्ल्ड मिल्क डे : मिल्कमैन वर्गिस कुरियन के बारे में नहीं जानते होंगे ये 10 बातें, मदर डेयरी की शुरुआत में था इनका हाथ 5.गांव के सरपंच के अनुसार कुआं खेड़ा गांव में दूध बेचने पर दो दशकों से रोक है। बताया जाता है कि गांव पर श्राप है। इसी के चलते दूध बेचने से नुकसान होता है।
6.गांववालों के मुताबिक दूध बेचने की जगह इसे दान करना और बांटना उनके लिए एक गर्व की बात है। इससे वे दूसरों की भलाई कर पुण्य कमाते हैं। 8.गांव के सरपंच के मुताबिक जब भी कुआं खेड़ा में किसी के घर कोई समारोह होता है तो उसमें बनने वाली मिठाई या दूसरे कामों के लिए इस्तेमाल होने वाला दूध उन्हें खरीदना नहीं पड़ता है। क्योंकि गांव के लोग खुद उस व्यक्ति या संस्था को दूध देती है।
9.गांववालों को कहना है कि ये काम वो काफी सालों से कर रहे हैं। इससे उनकी कमाई पर कोई असर नहीं होता है और वे इस नियम को बदलना नहीं चाहते हैं। 10.लोगों का मानना है कि दूध को बिना बेचे उसका आदान-प्रदान करने से उनके बीच सौहार्द बना रहता है। इससे उनके बीच का तालमेल भी बेहतर होता है।