नई दिल्लीPublished: Apr 23, 2018 04:00:11 pm
Saurabh Sharma
संविधान के निर्माण में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे। जिसे 26 नवंबर, 1949 ई० को संविधान सभा द्वारा पारित किया गया था।
Indian constitution
नई दिल्ली। आज पूरे देश में संविधान को लेकर चर्चा हो रही है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने संविधान बचाओ अभियान शुरू कर दिया है। ऐसे में सभी देश के संविधान को लेकर चर्चा कर रहे हैं। संविधान को एक बार फिर से पढ़ने और पढ़ाने की बातें हो रही हैं। अब सवाल ये है कि देश के लोग संविधान के बारे में कितना जानते हैं? क्या आपको इस बात की जानकारी है कि संविधान के निर्माण में कितना वक्त लगा था? संविधान का निर्माण करने में किनता रुपया खर्च हुआ था? नहीं। आइए पत्रिका बिजनेस की विशेष रिपोर्ट में जानते हैं, संविधान की इस इकोनॉमी के बारे में।
2 साल 11 महीने हुआ था निर्माण
संविधान के निर्माण में 2 साल 11 महीने और 18 दिन लगे थे। जिसे 26 नवंबर, 1949 ई० को संविधान सभा द्वारा पारित किया गया, तब इसमें कुल 22 भाग, 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थीं। वर्तमान समय में संविधान में 25 भाग, 395 अनुच्छेद एवं 12 अनुसूचियां हैं। देश के सभी मार्केट में किताबों की दुकानों, सरकारी और प्राइवेट लाइब्रेरी और शौकीनों के घरों में आसानी से उपलब्ध हो जाएगी। संविधान की प्रस्तावना को तो स्कूल तक में पढ़ाया जाता है। यहां तक की बच्चों को पूरी प्रस्तवना याद कराई जाती है। स्कूलों की असेंबली में संविधान प्रस्तावना पढ़ाया जाता है। देश संविधान से ही चलता है। देश में संसद और संविधान सर्वोपरी है। उससे ऊपर कोई नहीं।
इतने सदस्यों के सामने पास हुआ था संविधान
वैसे तो देश के आजाद होने से पहले देश के संविधान निर्माण की प्रकिया शुरू हो गई थी। जिसके तहत एक कमेटी का गठन किया गया था। लेकिन विभाजन के बाद संविधान सभा का पुनर्गठन 31 अक्टूबर, 1947 ई. को किया गया। 31 दिसंबर 1947 ई. को संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 299 थीं, जिसमें प्रांतीय सदस्यों की संख्या एवं देसी रियासतों के सदस्यों की संख्या 70 थी। संविधान का तीसरा वाचन 14 नवंबर, 1949 ई० को प्रारम्भ हुआ जो 26 नवंबर 1949 ई० तक चला और संविधान सभा द्वारा संविधान को पारित कर दिया गया। इस समय संविधान सभा के 284 सदस्य उपस्थित थे।
इतने करोड़ रुपए हुए खर्च
अब सवाल ये है कि संविधान के निर्माण में कितने रुपया खर्च हुआ होगा? ये सवाल इसलिए लाजिमी है, क्योंकि उस दौरान करीब 300 लोग इस काम में लगे हुए थे। कई देशों का दौरा भी हुआ होगा। उन लोगों की सैलरी और इस दौरान इस्तेमाल हुई स्टेशनरी तक को जोड़ दिया जाए तो संविधान के लागू होने तक उस पर 6.4 करोड़ रुपए खर्च हो चुके थे। अगर उस हिसाब से इस कीमत की आज के समय पर गणना की जाए तो कई सौ करोड़ रुपए बैठ जाएंगे।