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नोटबंदी पर बड़ा खुलासा: सरकार की उम्मीदों के अनुरुप नही मिला परिणाम

locationनई दिल्लीPublished: Dec 03, 2019 12:13:27 pm

Submitted by:

manish ranjan

नोटबंदी के बाद भी नोट्स इन सर्कुलेशन में कमी नही
नोटबंदी से जाली मुद्रा पर अंकुश लगा है

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Narendra Modi ) की ओर से 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा की गई थी। लेकिन नोटबंदी ( noteban )के तीन साल के बाद भी सरकार के उम्मीदों के अनुरुप परिणाम नहीं मिल पाया। दरअसल सरकार ने नोटबंदी की घोषणा इसलिए की थी कि लोग डिजिटल पद्धति का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर सकें और बाजार से नोट्स इन सर्कुलेशन की संख्या में कमी आए लेकिन ऐसा हो न सका।
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नोट्स इन सर्कुलेशन 22,420 अरब रुपए

खुद वित् राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने इसकी जानकारी दी। नोटबंदी के बाद भी नोटों में वृद्धि के मुद्दे पर राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने सोमवार को संसद में एक सवाल के जवाब में कहा कि नोटबंदी और डिजिटल नकदी पहल ने 2,934.80 अरब रुपये के नोटों का प्रचलन कम किया है। इस दर पर एनआईसी यानी नोट्स इन सर्कुलेशन 25 नवंबर 2019 तक 25,354.93 अरब रुपये तक बढ़ने की संभावना थी। लेकिन, उक्त तारीख को वास्तविक एनआईसी केवल 22,420 अरब रुपये है जिसका अर्थ है कि नोटबंदी के बाद डिजिटलीकरण और अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में नकदी के उपयोग में 2,934.80 अरब रुपये की कमी रही है। मतलब साफ है कि नोटबंदी के बाद भी बाजार में नोटो के सर्कुलेशन पहले से ज्यादा हुआ है।

नोटबंदी के बाद बढ़ी नोटो की सर्कुलेशन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा करने से ठीक पहले अर्थव्यवस्था में नोट्स इन सर्कुलेशन (एनआईसी) चार नवंबर 2016 को 17,741 अरब रुपयों की तुलना में नवंबर 2019 में बढ़कर 22,420 अरब रुपये हो गए हैं। यह जानकारी नवीनतम आधिकारिक आंकड़ों से मिली है। हालांकि सरकार की ओर से दिया गया तर्क यह है कि एनआईसी अक्टूबर 2014 से अक्टूबर 2016 तक सालाना आधार पर 14.51 फीसदी की औसत वृद्धि दर से बढ़ी है।
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जाली मुद्रा पर लगा अंकुश

ठाकुर ने कहा कि सरकार ने काले धन को बाहर निकालने, नकली भारतीय नोटों को खत्म करने, आतंक के वित्तपोषण को खत्म करने सहित कई उद्देश्यों के साथ आठ नवंबर 2016 को 1,000 रुपये और 500 रुपये के नोटों को रद्द करने का फैसला किया था। ठाकुर ने यह भी दावा किया कि नोटबंदी से जाली मुद्रा पर अंकुश लगा है।
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