Coronavirus की दहशत के बीच सस्ता हुआ Gold और Silver, जानिए New York से New Delhi तक कितनी आई गिरावट
भारत को मिली बड़ी कामयाबी
इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. संजय सिंह के अनुसार इसमें कोई दोराय नहीं कि भारत हींग का उत्पादन करता है, लेकिन इसके लिए वो ईरान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान से कच्चा माल आयात करजा है। सालभर में भारत कच्चे माल के लिए 600 करोड़ खर्च किए जाते हैं। अब आने वाले दिनों में इसी कच्चे माल की खेती भारत में की जाएगी। उन्होंने इसकी शुरूआत हिमाचल से होगी, उनके इंस्टीट्यूट में हींग का पौधा भी लगा हुआ है।
निचले स्तर से 1400 अंक उछलकर बंद हुआ Sensex, Nifty 9973 अंकों पर रुका
तीन से हो रहा था रिसर्च
उन्होंने बताया कि इंस्टीट्यूट कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर इस रिसर्च कर रहे थे। हिमाचल प्रदेश के बाद इस पौधे को जम्मू-कश्मीर और उत्तराखण्ड में लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस पौधे के लिए ठंड और खुश्क इलाके की जरुरत है। 5 साल में यह पौधा तैयार हो जाता है। उन्होंने कहा कि इन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि किसी ने चोरी छिपे इस तरह के पौधे को लगाया है या नहीं, लेकिन रिकॉर्ड के अनुसार यह पहला मौका है जब देश में हींग का पौधा लगाया जा रहा है।
सरकार ने दूर की Pensioners की परेशानी, अब CSC पर Oline जमा करा सकेंगे Life Certificate
ऐसे और यहां होता है हींग तैयार
– ईरान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान से रेजीन यानी हींग निर्माण में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल आता है।
– यह रेजीन एक पौधे से निकलता है जो दूध की तरह होता है।
– पहले इसे सीधे हाथरस ले जाया लाता था, लेकिन अब दिल्ली का खारी बावली इसका बड़ा हब बन गया है।
– हाथरस में 15 बड़ी और 45 छोटी यूनिट में प्रोसेस का काम होता है।
– कानपुर में भी अब इसकी यूनिट खुल चुकी हैं।
– हींग देश के अलावा खाड़ी देश कुवैत, कतर, सऊदी अरब, बहरीन आदि में एक्सपोर्ट भी होती हैं।