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Coronavirus के बीच बड़ी कामयाबी, अब देश में हो पाएगी हींग की खेती

तीन साल की रिसर्च के बाद Institute of Himalayan Bioresource Technology को मिली बड़ी कामयाबी
देश में हर साल 600 करोड़ रुपए का कच्चा माल Asafoetida बनाने के लिए दूसरे देशों से होता है आयात

नई दिल्लीJun 12, 2020 / 06:42 pm

Saurabh Sharma

Big success, Asafoetida cultivation will be possible in india

नई दिल्ली। दुनिया में सबसे महंगे मसालों में से हींग ( Asafoetida ) को लेकर भारत को बड़ी कामयाबी मिली है। अब देश में हींग की खेती ( Asafoetida Clutivation ) संभव हो सकेगी। इसपर चल रहा तीन साल का रिसर्च कामयाब हो गया है। इसका दावा हिमाचल प्रदेश ( Himachal Pradesh ) के पालमपुर में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी ( Institute of Himalayan Bioresource Technology ) ने किया है। आपको बता दें कि देश में हींग का प्रोडक्शन करने से पहले देश खाड़ी देशों से 600 करोड़ रुपए में कच्चा माल आयात करता है। उसके बाद हाथरस में प्रोडक्शन यूनिट हींग तैयार दूसरे देशों में भी निर्यात भी करता है। ऐसे में भारत में हींग की कीमत ( Asafoetida Price in India ) ज्यादा होती है।

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भारत को मिली बड़ी कामयाबी
इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर डॉ. संजय सिंह के अनुसार इसमें कोई दोराय नहीं कि भारत हींग का उत्पादन करता है, लेकिन इसके लिए वो ईरान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान से कच्चा माल आयात करजा है। सालभर में भारत कच्चे माल के लिए 600 करोड़ खर्च किए जाते हैं। अब आने वाले दिनों में इसी कच्चे माल की खेती भारत में की जाएगी। उन्होंने इसकी शुरूआत हिमाचल से होगी, उनके इंस्टीट्यूट में हींग का पौधा भी लगा हुआ है।

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तीन से हो रहा था रिसर्च
उन्होंने बताया कि इंस्टीट्यूट कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर इस रिसर्च कर रहे थे। हिमाचल प्रदेश के बाद इस पौधे को जम्मू-कश्मीर और उत्तराखण्ड में लगाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस पौधे के लिए ठंड और खुश्क इलाके की जरुरत है। 5 साल में यह पौधा तैयार हो जाता है। उन्होंने कहा कि इन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि किसी ने चोरी छिपे इस तरह के पौधे को लगाया है या नहीं, लेकिन रिकॉर्ड के अनुसार यह पहला मौका है जब देश में हींग का पौधा लगाया जा रहा है।

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ऐसे और यहां होता है हींग तैयार
– ईरान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान से रेजीन यानी हींग निर्माण में इस्तेमाल होने वाला कच्चा माल आता है।
– यह रेजीन एक पौधे से निकलता है जो दूध की तरह होता है।
– पहले इसे सीधे हाथरस ले जाया लाता था, लेकिन अब दिल्ली का खारी बावली इसका बड़ा हब बन गया है।
– हाथरस में 15 बड़ी और 45 छोटी यूनिट में प्रोसेस का काम होता है।
– कानपुर में भी अब इसकी यूनिट खुल चुकी हैं।
– हींग देश के अलावा खाड़ी देश कुवैत, कतर, सऊदी अरब, बहरीन आदि में एक्सपोर्ट भी होती हैं।

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