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क्या 2010-11 में देश की GDP से भी अधिक कालाधन विदेशों में खपाया गया? ये है पूरा मामला

locationनई दिल्लीPublished: Jun 25, 2019 07:00:33 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

साल 1980 से लेकर 2010 के बीच 30 सालों में देश से करीब 34 लाख करोड़ रुपये विदेशों में कालेधन के रूप में खपाये गए।
साल 2010 और 2011 के बीच में कुल कालाधन जीडीपी के 7-120 फीसदी तक हो सकता है।

Black Money

क्या 2010-11 में देश की त्रष्ठक्क से भी अधिक कालाधन विदेशों में खपाया गया? ये है पूरा मामला

नई दिल्ली। दोबारा सत्ता में आने के बाद एनडीए सरकार ( NDA government ) ने कालेधन ( black money ) को लेकर बीते दिन (24 जून 2019) फाइनेंस स्टैंडिंग कमेटी ( Finance standing committee ) की रिपोर्ट पेश कर दी है। बीते तीन दशकों में देश से कालाधन विदेशों में खपाने को लेकर कई अहम जानकारियों सामने आई हैं। तीन संस्थानों की रिपोर्ट के माध्यम से बताया कि साल 1980 से लेकर 2010 के बीच 30 सालों में देश से करीब 34 लाख करोड़ रुपये विदेशों में कालेधन के रूप में खपाये गए हैं। हालांकि, वित्त विभाग की संसदीय कमेटी ने यह जानकारी देते हुए इन तीनों संस्थानों का जिक्र तो किया, लेकिन साथ में यह भी साफ कर दिया कि कालाधन पैदा होने और जमा होने को लेकर कोई विश्वनीय अनुमान नहीं है।


जीडीपी से भी अधिक कालाधन

फाइनेंस केमटी की इस रिपोर्ट को ध्यान से अध्ययन करने के बाद एक अहम जानकारी यह भी आई है कि वित्त वर्ष 2009-10 में भारत की जीडीपी से भी अधिक रकम कालेधन के रूप में मौजूद था। यही हाल वित्त वर्ष 2011 में भी था। 2010 में वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी 64.5 खरब रुपये थीजबकि इस दौरान कालेधन का अनुमान 4.5-77.4 खरब रुपये हो सकती है। वहीं, इसके अगले साल कालेधन की यह रकम करीब 5.3-92.08 खरब रुपये रह सकती है। 2011 में भारत की जीडीपी 76.7 खरब रुपये था। इस प्रकार 2010 और 2011 के बीच में कुल कालाधन जीडीपी के 7-120 फीसदी तक हो सकता है।


इन क्षेत्रों में कालेधन की सबसे अधिक खेप

फाइनेंस कमेटी ने यह रिपोर्ट तीन-तीन विभागों की रिपोर्ट के आधार पर दी है। इन संस्थानों का नाम NIPFM, NSAER आैर NIFM है, जिन्होंने अपने-अपने अध्ययन में यह जानकारी दी है। इन तीनों संस्थानों ने पाया कि सबसे अधिक कालाधन रियल एस्टेट, माइनिंग, फार्मास्युटिकल्स, पान मसाला, गुटखा, तंबाकू, बुलियन, कमोडिट, फिल्म और एजुकेशन सेक्टर से खपाया गया है। कमेटी ने ‘स्टेटस ऑफ अनअकाउंटेड इनकम/वेल्थ बोथ इनसाइड एंड आउटसाइड द कंट्री-ए क्रिटिकल एनालिसिस’ नामक रिपोर्ट में कहा है कि कालाधन पैदा होने और जमा होने को लेकर विश्वसनीय अनुमान नहीं है। कमेटी ने साथ में यह भी कहा कि इस तरह का अनुमान लगाने के लिए कोई सर्वमान्य तरीका नहीं है।


30 साल में 34 लाख करोड़ रुपये कालाधन विदेश भेजा गया

रिपोर्ट में नेशनल काउंसिल ऑफ अप्लाइड इकोनाॅमिक रिसर्च ने अपने रिसर्च में पाया कि साल 1980 से 2010 के बीच में 26,88,000 रुपये से लेकर 34,30,000 करोड़ रुपये का कालाधन विदेश भेजा गया है। नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फाइनेंस मैनेजमेंट ने भी कहा है कि 1990-2010 के दौरान कुल 15,15,300 करोड़ रुपये का कालाधन विदेशों में भेजा गया है। जबकि, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ पब्लिक एंड फाइनेंस ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 1997-2009 के दौरान देश के जीडीपी का 0.2 फीसदी से लेकर 7.4 फीसदी तक काला धन विदेश भेजा गया है।

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