scriptBrexit से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को हर घंटे हो रहा 42 करोड़ रुपए का नुकसान, और भी खराब हो सकते हैं हालात | Brexit costs UK Economy 6 million dollar per hour know how | Patrika News

Brexit से ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को हर घंटे हो रहा 42 करोड़ रुपए का नुकसान, और भी खराब हो सकते हैं हालात

locationनई दिल्लीPublished: Mar 26, 2019 05:14:39 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

अर्नेस्ट एंड यंग के मुताबिक, इस दौरान ब्रिटेन से करीब 1.3 ट्रिलियन डॉलर की संपत्तियां बाहर जा रही हैं।
बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा लाई गई आपातकाल इंतजामों के बाद आर्थिक मंदी को टालने में कामयाबी भी मिली।
जून 2016 में यूरोपियन यूनियन छोड़ने की तैयारियों के बीच पाउंड में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है।

नई दिल्ली। ब्रेक्जिट में देरी होने के साथ ही ब्रिटिश प्रधानमंत्री थेरेसा मे की मुश्किलें खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। ब्रेक्जिट में लगातार आ रही सियासी अड़चनों की कीमत यूनाइटेड किंगडम की अर्थव्यवस्था को चुकानी पड़ रही है। जून 2016 में यूरोपियन यूनियन ( European Union ) छोड़ने की तैयारियों के बीच पाउंड में लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। बैंक ऑफ इंग्लैंड की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बीते दो सालों में यूनाइटेड किंगडम की अर्थव्यवस्था 2 फीसदी तक सिकुड़ चुकी है।


ब्रिटेन को हर घंटे 60 लाख डॉलर का नुकसान

साल 2016 में, यूरोपियन यूनियन का साथ छोड़ने के लिए जनमत संग्रह बनाने के साथ ही ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को प्रति सप्ताह एक अरब डॉलर (करीब 7,000 करोड़ रुपए) का नुकसान उठाना पड़ रहा है। दूसरे शब्दों में कहें तो ब्रेक्जिट की अनिश्चित्तता के बीच ब्रिटेन को हर घंटे करीब 60 लाख डॉलर (करीब 42 करोड़) का घाटा सहना पड़ रहा है। ध्यान देने वाली बात है कि ब्रेक्जिट में अभी तक वैश्विक अर्थव्यवस्था या यूरोपियन यूनियन के संबंध में किसी प्रकार का संरचनात्मक बदलाव नहीं किया गया है, इसके बावजूद भी अर्थव्यवस्था को लगातार धक्का लग रहा है।


2008 जैसे बन सकते हैं हालात

इस दौरान ब्रिटेन लगातार यूरोपियन यूनियन में वस्तुएं एवं सेवाएं बेच रहा है। ब्रिटेन में काम करने वाली कंपनियों के लिए यूरोपियन यूनियन से लोगों को नौकरी देना आसान रहा है, साथ ही पड़ोसियों से सप्लाइ चेन को भी जारी रखना सरल रहा है। इसके बावजूद करीब तीन साल से UK के ट्रेड को लेकर अनिश्चित्तता बरकरार है। कारोबार को लेकर किए जाने वाले कर्इ निवेश या तो कैंसिल कर दिए गए हैं, या फिर उनमें देरी कर दी गई है। बैंक ऑफ इंग्लैंड ( bank of england ) ने दावा किया गया है कि भविष्य में 2008 के वित्तीय संकट से भी खराब हालात देखने को मिल सकते हैं।


G7 समूह में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश बना ब्रिटेन

बताते चलें कि G7 अर्थव्यवस्थाओं में यूनाइटेड किंगडम सबसे तेजी से आगे बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था थी। इसके बाद बैंक ऑफ इंग्लैंड द्वारा लाई गई आपातकाल इंतजामों के बाद आर्थिक मंदी को टालने में कामयाबी भी मिली। इस दौरान बेरोजगारी कम होने से कुछ लोगों का मानना था कि ब्रेक्जिट का रास्ता साफ हो सकता है। लेकिन, इन सबके बावजूद भी देश G7 समूह में सबसे खराब प्रदर्शन करने के साथ सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया। सालाना रफ्तार से अर्थव्यवस्था की बात करें तो यह भी 2 फीसदी से घटकर 1 फीसदी हो गर्इ है। वहीं, बिजनेस कॉन्फिडेंस की बात करें तो बीते एक दशक में यह न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है। साल 2016 मेें वोट के बाद, डॉलर के मुकाबले पाउंड में करीब 15 फीसदी की गिरावट आई है।


यूरोपीय कंपनियां फूंक-फूंक कर उठा रही हैं कदम

कई बैंकों ने अपना कार्यालय जर्मनी, फ्रांस, आयरलैंड व यूरोपियन यूनियन के अन्य देशों में बना रखा है। वित्तीय सेवाएं देने वाली कंपनियों को अपनी परसंपत्तियों को यूरोपियन यूनियन को ध्यान में रखते हुए बांटना होगा। अर्नेस्ट एंड यंग के मुताबिक, इस दौरान ब्रिटेन से करीब 1.3 ट्रिलियन डॉलर की संपत्तियां बाहर जा रही हैं। सोनी व पैनासोनिक, दोनों कंपनियां अपने हेडक्वार्टर को नीदरलैंड में शिफ्ट करने की तैयारियों मे हैं। उत्पदपन क्षेत्र की भी कंपनियां भी लगातार कई बदलाव कर रही हैं। कार निर्माता निसान ने भी यूनाइटेड किंगडम में अपने नए मॉडल को बनाने का प्लान ठंडे बस्ते में डाल दिया है।

Read the Latest Business News on Patrika.com. पढ़ें सबसे पहले Business News in Hindi की ताज़ा खबरें हिंदी में पत्रिका पर।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो