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अब जरूरी नहीं आधार, कानून में संशोधन को मिली मंजूरी

केंद्र सरकार ने सोमवार को आधार से जुड़े कानून में संशोधन को स्वैच्छिक मंजूरी दे दी है। यह अब ग्राहक की इच्छा पर नि्रभर करेगा कि वह आधार देना चाहता है या नहीं।

नई दिल्लीDec 18, 2018 / 12:42 pm

manish ranjan

अब जरूरी नहीं आधार, कानून में संशोधन को मिली मंजूरी

नई दिल्ली। अब आधार कार्ड को मोबाइल और बैंक अकाउंट से लिंक करना स्वैच्छिक हो गया है। दरअसल केंद्रीय कैबिनेट ने सोमवार को आधार नंबर को मोबाइल नंबरों और बैंक अकाउंट्स से लिंक करने को स्वैच्छिक वैधता दे दी है। सरकार के इस फैसले के बाद अब आप अपने आधार कार्ड को अपनी मर्जी से मोबाइल और बैंक अकाउंट से लिंक करा सकते हैं। इसके साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में टेलिग्राफ ऐक्ट और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट (PMLA) में संशोधन के मसौदे को भी मंजूरी दी गई। इसके लिए अब जरूरी बदलावों को ध्यान में रखते हुए नया ड्राफ्ट तैयार कर विधेयक लाया जाएगा। फिर उसे संसद के इसी सत्र में लोकसभा में पेश किया जाएगा।
अब अपनी मर्जी से साझा कर सकेंगे पहचान संख्या
इस साल सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को लेकर अपने ऐतिहासिक फैसले में प्राइवेट कंपनियों द्वारा ऑनलाइन आधार ऑथेंटिकेशन पर प्रतिबंध लगा दिया था। कोर्ट के इस फैसले के बाद दूरसंचार और फिनटेक कंपनियों ने सरकार से आधार के इस्तेमाल पर छूट की मांग की थी। कंपनियों की मांगों को ध्यान में रखते हुए दोनों मौजूदा कानूनों में संशोधन किया गया और अब कोई व्यक्ति नए मोबाइल फोन कनेक्शन लेने और बैंक अकाउंट खोलने के लिए 12 अंक वाली पहचान संख्या को अपनी मर्जी से साझा कर सकेगा।सुप्रीम कोर्ट का फैसला, इसमें आड़े नहीं आएगा।
टेलिग्राफ ऐक्ट को किया संशोधित
सुप्रीम कोर्ट ने आधार ऐक्ट के सेक्शन 57 को खारिज कर दिया था, जिसके तहत सिम कार्ड और बैंक खातों के साथ आधार लिंकिंग अनिवार्य थी। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस प्रावधान का कोई कानूनी आधार नहीं है। यही वजह है कि आधार के जरिए मोबाइल सिम जारी किए जाने को कानूनी समर्थन उपलब्ध कराने के लिए टेलिग्राफ ऐक्ट को संशोधित किया जा रहा है।
केवाईसी के लिए भी बैंक अकाउंट से लिंक करा सकते हैं आधार कार्ड
PMLA में संशोधन के बाद लोगों के पास केवाईसी के लिए अपने बैंक अकाउंट को आधार कार्ड से लिंक कराने का विकल्प उपलब्ध होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक फैसले में आधार की संवैधानिक वैधता पर मुहर लगाते हुए कहा था कि सरकार द्वारा प्रायोजित कल्याणकारी योजनाओं की सब्सिडी के लिए के लिए इसे जरूरी बताया था। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि बैंक अकाउंट खोलने या मोबाइल फोन कनेक्शन लेने के लिए आधार को अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता। कोर्ट ने यह फैसला प्रिवेसी की चिंताओं को लेकर दाखिल की गईं याचिकाओं पर दिया था।

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