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अर्थव्‍यवस्‍था

गेहूं के रिकाॅर्ड उत्पादन के बाद भी देश में अब रोटी भी होगी महंगी

गेहूं पर आयात शुल्क लगने से देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में गुरुवार को कीमतों में तेजी दर्ज गई।

May 25, 2018 / 04:07 pm

Saurabh Sharma

wheat

गेहूं के रिकाॅर्ड उत्पादन के बाद भी देश में अब रोटी भी होगी महंगी

नई दिल्ली। जो मौजूदा केंद्रीय मंत्री 2014 से पहले मनमोहन सरकार को पेट्रोल आैर डीजल की कीमत आैर महंगार्इ को लेकर घेर रहे थे, वो अब खुद सत्ता में आकर दोनों ही मुद्दों में घिरते हुए दिखार्इ दे रहे हैं। मौजूदा समय में सबसे ज्यादा पेट्रोल आैर डीजल कीमतों को लेकर हल्ला हो रहा है। अब खबर यह आर्इ है कि आपकी रोटी भी महंगी होने जा रही है। अगर एेसा होता है तो देश की जनता पर यह अब तक की सबसे बड़ी मार होगी। आइए आपको भी बताते हैं कि कैसे आपके प्लेट में रखी रोटी महंगी होने जा रही है?

रोटी भी होगी महंगी
गेहूं पर आयात शुल्क लगने से देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में गुरुवार को कीमतों में तेजी दर्ज गई। जींस कारोबारियों ने बताया कि दक्षिण भारत से मांग बढ़ने पर आगे बाजार और गरम रह सकता है। हालांकि उपभोक्ताओं की चिंता है कि देश में गेहूं का रिकॉर्ड उत्पादन होने के बावजूद रोटी सस्ती नहीं मिलेगी। दिल्ली के लॉरेंस रोड स्थित अनाज मंडी में भी गेहूं का भाव गुरुवार को 1760 रुपये से बढ़कर 1775 रुये प्रति क्विंटल हो गया।

यूपी-एमपी में बढ़ी कीमतें
उत्तर प्रदेश की शाहजहांपुर अनाज मंडी में मिल क्वालिटी का गेहूं (सामान्य क्वालिटी) 1605 रुपये प्रति क्विंटल हो गया और बेहतर क्वालिटी का गेहूं 1640 रुपये प्रति क्विंटल था। दो दिनों में 35 रुपये की तेजी आई है। राजस्थान में भी गेहूं की कीमतों में 30-40 रुपये की तेजी दर्ज की गई। सबसे ज्यादा मध्यप्रदेश में गेहूं की विभिन्न क्वालिटी के भाव में 50-100 रुपये प्रति क्विंटल की तेजी आई। मध्यप्रदेश के उज्जैन के गेहूं कारोबारी संदीप ने बताया कि आयात शुल्क बढ़ने से दक्षिण भारतीय मिलों की मांग निकलेगी। मध्यप्रदेश के ही विदिशा के कारोबारी रोहित ने बताया कि अच्छी क्वालिटी के गेहूं में पहले से ही मांग बनी हुई है, मगर अब मिल क्वालिटी की मांग बढ़ सकती है।

इन राज्यों में पैदा होता है गेहूं
दरअसल, गेहूं की पैदावार पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में ज्यादा होती है जहां से अन्य राज्यों में गेहूं की आपूर्ति की जाती है। दक्षिण भारत खासतौर से बंदरगाह वाले शहरों में इन राज्यों से गेहूं मंगाने के मुकाबले आयात करना सस्ता होता है। इसकी एक वजह यह भी है कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत के मुकाबले गेहूं सस्ता है। पिछले साल भी देश में बंपर उत्पादन होने पर भी करीब 17 लाख टन गेहूं का आयात हुआ था।

आयात शुल्क में भी र्इजाफा
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड की ओर से बुधवार को जारी अधिसूचना के जरिए गेहूं पर आयात शुल्क 20 फीसदी से बढ़ाकर 30 फीसदी कर दिया। रोलर फ्लोर मिल्स फेडरेशन ऑफ इंडिया की सचिव वीणा शर्मा की मानें तो पिछले साल करीब 17 लाख टन गेहूं का आयात हुआ था मगर इस साल अब आयात होने की संभावना कम है क्योंकि 30 फीसदी शुल्क पर आयात नहीं हो पाएगा। उन्होंने बताया, “20 फीसदी आयात शुल्क के बावजूद पाकिस्तान से गेहूं का आयात होने लगा था, जिसे रोकने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया होगा।”

क्या कहता है एफसीआर्इ?
भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) की वेबसाइट के आंकड़ों के मुताबिक पिछले साल 2017-18 में ओपन मार्केट सेल्स स्कीम (ओएमएसएस) के तहत घरेलू बाजार में 14.21 लाख टन गेहूं की बिक्री हुई और एक अप्रैल 2018 को केंद्रीय पूल में गेहूं का बचा हुआ स्टॉक 132.31 लाख टन रह गया था। एफसीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने की माने तो सरकार के पास इस साल गेहूं का रिकॉर्ड स्टॉक है, क्योंकि खरीद भी लक्ष्य से काफी ज्यादा हो चुका है। केंद्र व राज्य सरकारों की एजेंसियों ने चालू रबी विपणन वर्ष 2018-19 में देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक प्रदेशों में अब तक 337.39 लाख टन गेहूं खरीद लिया है। गेहूं की सबसे जयादा खरीद 380 लाख टन 2012 में हुई थी।

भंडारण में होता है इतना खर्च
सरकार ने फसल वर्ष 2017-18 (जुलाई-जून) के रबी सीजन में उत्पादित गेहूं के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 1,735 रुपये प्रति क्विंटल तय किया है, जिस पर सरकारी एजेंसियां किसानों से गेहूं खरीद रही हैं। एफसीआई के अधिकारी ने बताया कि एमएसपी के अतिरिक्त एजेंसी को गेहूं के उठाव व भंडारण पर करीब 225 रुपये प्रति क्विंटल खर्च पड़ता है। मगर, ओएमएसएस के तहत गेहूं की बोली के लिए फ्लोर प्राइस यानी आधार मूल्य तय करते समय एमएसपी में भंडारण खर्च का कम से कम आधा जरूर जोड़ा जाता है। इस तरह आधार मूल्य 1900 रुपये के पास तय हो सकता है।

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