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धारा 370 हटाने के बाद कश्मीर में बड़ा निवेश सम्मेलन करवाएगी केंद्र सरकार, दिग्गज कारोबारी लेंगे हिस्सा

locationनई दिल्लीPublished: Aug 05, 2019 05:42:22 pm

Submitted by:

Shivani Sharma

केंद्र सरकार जल्द ही कश्मीर में बड़ा निवेश सम्मेलन करवाएगी
इस सम्मेलन में देश के कई बड़े कारोबारी हिस्सा लेंगे

mukesh ambani

नई दिल्ली। अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले के बाद सरकार ने अक्टूबर में जम्मू-कश्मीर में एक बड़ा निवेश सम्मेलन आयोजित करने की योजना बनाई है, जिसमें देश के नामी-गिरामी कारोबारी हिस्सा लेंगे। सूत्रों ने बताया कि सम्मेलन का आयोजन दशहरा के आसपास किया जाएगा, क्योंकि सरकार का मानना है कि अनुच्छेद 370 समाप्त होने से इलाके में निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनेगा।


कश्मीर बन गया केंद्र शासित प्रदेश

आपको बता दें कि मोदी सरकार के ऐतिहासिक कदम के बाद जम्मू-कश्मीर अब एक केंद्र शासित प्रदेश बन गया है। इसके साथ ही कश्मीर के लोगों को धारा 370 के जरिए जो विशेषाधिकार मिले हुए थे, वह भी खत्म हो गए हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार ने लद्दाख को जम्मू-कश्मीर से अलग कर दिया है, यानी लद्दाख अब एक अलग राज्य होगा। यानी जम्मू-कश्मीर अब दिल्ली की तरह विधानसभा वाला और लद्दाख, चंडीगढ़ की तरह व‍िधानसभा व‍िहीन केंद्रशासित प्रदेश होगा। सरकार के इस कदम से लद्दाख और कश्मीर के बाहर रहने वाले लोग भी अब यहां घर खरीद पाएंगे।


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प्रदेश का होगा विकास

सरकार ने कहा कि प्रदेश के विकास के मार्ग में यह अनुच्छेद सबसे बड़ा बाधक था, क्योंकि इसके कारण कश्मीर के बाहर के लोग प्रदेश में जमीन-जायदाद में निवेश नहीं कर पाते थे। इस कारण उद्योगपति अपने विनिर्माण इकाइयां नहीं लगा पाते थे। सरकार ने कहा कि यह अनुच्छेद राज्य में निजी या वैश्विक निवेश के मार्ग में बाधक था। अधिकारियों को उम्मीद है कि हालात जब सुधरेंगे और शांति बहाल होगी, तब लोगों को समझ में आएगा कि विशेष दर्जा समाप्त करना उनके हित में था।


खत्म हुए कश्मीर के विशेष अधिकार

मोदी सरकार के इस फैसले के बाद अब भारतीय संविधान पूरी तरह से लागू होगा। जम्मू-कश्मीर का अब अपना अलग से कोई संविधान नहीं होगा। जम्मू-कश्मीर ने 17 नवंबर 1956 को अपना संविधान पारित किया था, वह पूरी तरह से खत्म हो गई है। जब तक कश्मीर में धारा 370 लागू थी तब तक वहां के नागरिकों को कुछ विशेष अधिकार मिले हुए थे, जिसके कारण सिर्फ कश्मीर में रहने वाले लोग ही वहां का हिस्सा थे। यानी देश के अन्य राज्यों में रहने वाले लोग न तो वहां पर सरकारी नौकरी कर सकते थे और न ही वहां पर घर खरीदने के बारे में विचार कर सकते थे।

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