Published: Nov 05, 2018 11:09:43 am
Saurabh Sharma
केंद्रीय सूचना आयोग ने आरबीआर्इ गवर्नर को बड़ा देते हुए नोटिस जारी किया है। वास्तव में सुप्रीमा कोर्ट के आदेश के देने के बाद भी विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची ना जारी के बाद सीआर्इसी की आेर से यह कदम उठाया गया है।
सीआर्इसी ने दिया आरबीआर्इ गवर्नर को झटका, विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची ना जारी करने को लेकर दिया नोटिस
नर्इ दिल्ली। केंद्रीय सूचना आयोग ने आरबीआर्इ गवर्नर को बड़ा देते हुए नोटिस जारी किया है। वास्तव में सुप्रीमा कोर्ट के आदेश के देने के बाद भी विलफुल डिफॉल्टर्स की सूची ना जारी के बाद सीआर्इसी की आेर से यह कदम उठाया गया है। वहीं दूसरी आेर सीआर्इसी ने पीएम आॅफिस, वित्त मंत्रालय आैर आरबीआर्इ से कहा कि पूर्व गवर्नर रघुराम राजन द्वारा बैड लोन पर लिखे हुए लेटर भी जारी किए जाएं। आइए आपको भी बताते हैं कि सीआर्इसी की आेर से आरबीआर्इ आैर सरकार से क्या कहा है…
क्यों ना लगार्इ जाए पेनल्टी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 50 करोड़ रुपए से अधिक के विलफुल डिफॉल्टर्स के नामों की सूची जारी करने से आरबीआर्इ ने इनकार कर दिया है। जिससे नाराज होकर सीआर्इसी ने आरबीआर्इ गवर्नर उर्जित पटेल से पूछा है कि तत्कालीन सूचना आयुक्त शैलेश गांधी के फैसले के बाद आए सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ना मानने पर आप पर क्यों ना अधिकतम पेनल्टी लगाई जाए? उर्जित पटेल को इस नोटिस का जवाब 16 नवंबर से पहले देना होगा। सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलु ने कहा कि इस मामले में आयोग आरबीआर्इ गवर्नर को पूरी तरह से जिम्मेदार मानता है और इसलिए उन्हें नोटिस दिया गया है।
अारबीआर्इ की सभी दलीलें खारिज
उन्होंने आरबीआई की उन दलीलों को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया है कि सूचना के अधिकार कानून की धारा 22 उनके द्वारा उद्धृत उन विभिन्न कानूनों को दरकिनार नहीं करती जो जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वालों के नामों का खुलासा करने से रोकते हैं और इसलिए आरअीआर्इ को खुलासे के दायित्व से मुक्त कर दिया जाना चाहिए। वहीं सीआर्इसी ने आरबीआर्इ की उस दलील को भी आधारहीन बताया जिसमें कहा गया है कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में लंबित एक जनहित याचिका उन्हें खुलासा करने से रोकेगी क्योंकि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित ऐसा कोई अंतरिम आदेश पेश नहीं किया जो जानबूझकर ऋण नहीं चुकाने वालों के नामों का खुलासा करने से रोकता है या जो सीआईसी के सामने सुनवाई के खिलाफ हो।
आखिर क्यों नहीं किए सार्वजनिक
इससे पहले सीआर्इसी ने कहा था कि किसान मामूली रकम पर डिफॉल्ट करते हैं तो उनके नाम सार्वजनिक किए जाते हैं। वहीं, 50 करोड़ से ज्यादा पर डिफॉल्ट करने वालों को छूट दे दी जाती है। एेसे लोगों को वन टाइम सेटलमेंट के नाम पर ब्याज माफी और कई तरह की दूसरी सुविधाएं और बड़ी रियायतें दी जाती हैं और इज्जत बचाने के लिए उनके नाम भी पब्लिक से छिपाए जाते हैं। आयोग ने कहा कि 1998 से 2018 के बीच 30,000 से ज्यादा किसानों ने खुदकुशी की क्योंकि वे कर्ज चुका पाने में नाकाम रहने के कारण शर्मिंदा थे।