1. अगर पॉलिसी होल्डर लगातार 8 साल तक प्रीमियम भारता है तो हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम रिजेक्ट करना मुश्किल होगा। आठ साल के उस पीरियड को मोरेटोरियम पीरियड कहा जाता है। पॉलिसी होल्डर के ऐसे समय के खत्म हो जाने के बाद किसी भी हेल्थ क्लेम को चुनौती नहीं दी जा सकती है। इसके लिए शर्त यह होगी कि इनमें फ्रॉड नहीं होना चाहिए।
2. अब से पहले तक बीमा कंपनी गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को कवर करने से मना कर सकती थी। लेकिन नए नियम में इरडा ने कहा है कि पहले वो सभी 16 बीमारियों की जानकारी देने वाले को भी हेल्थ इंश्योरेंस की सुविधा मिलनी चाहिए।
नए नियम का क्या होगा असर?
कुछ गंभीर बीमारी से जूझ रहे लोगों को बीमा कंपनियां कवर करने से मना करती थीं लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।ये बीमारियां हैं, सारकोयडोसिस, मैलिगनेंट नेयोप्लाज्म्स, एपिलेप्सी, हार्ट एलमेंट कनजेनाइटल हार्ट डिजीज और वॉल्वुलर हार्ट डिजीज, सेरिब्रोवस्कुलर डिजीज, इंफ्लेमटरी बॉवेल डिजीज, क्रोनिक लीवर डिजीज, पैंक्रियाटिक डिजीज, क्रोनिक किडनी डिजीज, हेपेटाइटिस बी, पार्किंसन डिजीज, डेमीलिनेटिंग डिजीज, एचआईवी और एड्स, बहरापन, त्वचा का पॉपुलसक्वेमस, ऑस्टिओनेक्रोसिस और एल्जाइमर। पहले इन बीमारियों से ग्रसित लोगों को पॉलिसी के योग्य नहीं माना जाता था।
3. बीमा नियामक यानी इरडा ने साफ कहा कि हर हेल्थ इंश्योरेंस प्रोडक्ट को पहले से बताई गई मौजूदा बीमारियों को कवर करना होगा अनिवार्य और 48 महीने के प्रतीक्षा समय के बाद सभी को तुरंत कवर करना अनिवार्य होगा।
नए नियम का क्या होगा असर?
पॉलिसी खरीदते वक्त यदि मौजूदा बीमारी बताई जाती है तो इन्हीं को ‘प्री-एग्जिस्टिंग डिजीज’ कहा जाता है। ऐसी बीमारियों पर अब अधिक पारदर्शिता आ गई है।
4. आईसीयू चार्ज में अब मिलेगी राहत
नए नियम में आईसीयू को अलग कैटेगरी में रख कर आईसीयू चार्ज अब नहीं लिया जा सकेगा। इरडा ने गाइडलाइंस साफ करदी है
नए नियम का क्या होगा असर?
हेल्थ इंश्योरेंस एक्सपर्ट का कहना है कि इरडा का यह कदम लोगों के हित में उठाया गया कदम है। कोरोना की मार झेल रहे लोगों पर दोहरी मार पड़ रही थी। दरअसल आईसीयू में केवल एक कैटेगरी होती है, इसीलिए प्रपोर्शनेट डिडक्शन नहीं होना चाहिए। नए सर्कुलर में यह स्पष्ट किया गया है।