यूएनएससी को 13 को लेना है मसूद पर फैसला
जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबंध के प्रस्ताव पर सदस्य देशों को अगले हफ्ते 13 मार्च तक फैसला लेना है। जैश सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के लिए इस बार फ्रांस की तरफ से सुरक्षा परिषद में प्रस्ताव लाया गया है, जिसे हृस्ष्ट के 3 अन्य स्थायी सदस्यों- अमेरिका, ब्रिटेन और रूस का समर्थन हासिल है।
चीन भी मसूद को बैन के पक्ष में
जब से पाकिस्तान के आतंकी संगठन ने भारत के पुलवामा इलाके में आतंकी घटना को अंजाम देकर सीआरपीएफ के 40 जवानों को निशाना बनाया है तब से पाकिस्तान भी मसूद अजहर को बैन करने के पक्ष में है। चीन इसलिए भी इस बार राजी हो गया है क्योंकि उस पर कई महाशक्तियों का दबाव भी है। इससे पहले जब भी भारत ने मसूद अजहर पर बैन लगाने की बात कही। चीन ने हमेशा मसूद का सपोर्ट किया है।
आखिर चीन को क्यों है डर?
वास्तव में चीन को मसूद के बैन लगने से एक डर भी सता रहा है। चीन को लग रहा है कि अगर यूएनएससी मसूद को बैन करता है तो चीन के सबसे बड़े प्रोजेक्ट सीपीईसी को बड़ा झटका लग सकता है। क्योंकि इस पूरे प्रोजेक्ट पर चीन के 62 बिलियन डॉलर यानि भारतीय रुपयों के हिसाब से 4.34 लाख करोड़ रुपए लगे हुए हैं। सीपीईसी न सिर्फ पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान से होकर गुजरता है, बल्कि खैबर पख्तूख्वा के मानशेरा जिले से भी होकर गुजरता है, जहां बालाकोट स्थित है। इसी जिले में कई आतंकी प्रशिक्षण शिविर है। जो इस प्रोजेक्ट को नुकसान पहुंचा सकते हैं। चीन चाहता है कि पाकिस्तान से उसे सुरक्षा की गारंटी मिले।
चीन के 10 हजार लोग कर रहे हैं काम
सीपीईसी प्रोजेक्ट के लिए चीन ने बालाकोट के पास बड़ी मात्रा में लैंड का अधिग्रहण किया है। साथ ही पीओके से होकर पाकिस्तान को चीन से जोडऩे वाला काराकोरम हाइवे भी मानशेरा से होकर जाता है। सीपीईसी चीन के महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के तहत फ्लैगशिप प्रॉजेक्ट है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव का दूसरा समिट अगले महीने हो सकता है। चीन के करीब 10,000 लोग सीपीईसी प्रॉजेक्ट पर काम कर रहे हैं।