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सीआर्इआर्इ ने कहा, 2019 में भी देश की आर्थिक वृद्घि में बनी रहेगी तेजी

Published: Dec 31, 2018 08:55:39 am

Submitted by:

Saurabh Sharma

उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ का बयान मोदी सरकार को राहत दे सकता है। उन्हाेंने कहा है कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी, व्यापार मोर्चे पर तनाव जैसे वैश्विक कारकों के बावजूद भारत इस साल तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाली अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है।

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सीआर्इआर्इ ने कहा, 2019 में भी देश की आर्थिक वृद्घि में बनी रहेगी तेजी

नर्इ दिल्ली। उद्योग मंडल भारतीय उद्योग परिसंघ का बयान मोदी सरकार को राहत दे सकता है। उन्हाेंने कहा है कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी, व्यापार मोर्चे पर तनाव जैसे वैश्विक कारकों के बावजूद भारत इस साल तीव्र आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने वाली अर्थव्यवस्था बनकर उभरा है। वहीं सीआर्इआर्इ ने इस बात को भी जोर देकर का है कि 2019 में भी आर्थिक वृद्धि में तेजी की उम्मीद है। आइए आपको भी बताते हैं कि उन्होंने आैर क्या-क्या कहा…

बनी रहेगी अर्थव्यवस्था में तेजी
सीआर्इआर्इ के अनुसार सेवा क्षेत्र में मजबूत कारकों और अगले साल होने वाले आम चुनाव की वजह से होने वाने खर्च से पैदा होने होने वाली मांग से सकारात्मक परिदृश्य सामने आएगा। सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा कि मांग की बेहतर स्थिति, जीएसटी से जुड़ी समस्याओं का समाधान, बुनियादी ढांचा क्षेत्र में निवेश से क्षमता विस्तार, नीतियों में सुधार का सकारात्मक प्रभाव और ऋण देने में सुधार जैसे कारकों से आर्थिक वृद्धि में मजबूती जारी रहेगी और यह 2019 में 7.5 फीसदी के आसपास बनी रहेगी। उद्योग मंडल के अनुसार कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, अमरीका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वाॅर आैर अमरीका की सख्त मौद्रिक नीति के बावजूद 2018 में भारत दुनिया की सबसे तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था बना।

इन चीजों पर देना होगा ध्यान
वहीं दूसरी आेर सीआईआई ने 2019 में जीडीपी में तेजी जारी रखने के लिए सुझाव भी दिए हैं। उन्होंने 7 प्रमुख कारकाें का जिक्र करते हुए कहा है कि इन्हें बढ़ावा देने की जरुरत है। सीआईआई ने उम्मीद जताई है कि जीएसटी काउंसिल ईंधन, रीयल एस्टेट, बिजली और शराब को भी टैक्स के दायरे में लाने पर विचार करेगी जिसे अभी बाहर रखा गया है। सीआईआई ने इसे वृद्धि को गति देने वाले प्रमुख कारकों में से एक माना है। इसके अलावा उद्योग मंडल ने सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यमों के लिए कर्ज की उपलब्धता को एक चुनौती माना है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में इसमें केवल 2.3 फीसदरी की वृद्धि हुई है। साथ ही सीआईआई ने कारोबार सुगमता को और सरल बनाने, कृषि सुधार तथा तेल उत्पादन बढ़ाने पर भी जोर दिया है।

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