इस विषय पर इससे पहले की तीन समितियों की अध्यक्षता वाई एच मालेगाम, उषा थोराट और वी सुब्रमण्यम ने की थी। अब इकनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क पर बनाई जाने वाली इस समिति में पहली बार सरकार अपने नॉमिनी रखेगी।
पहले तीन समितियों के अध्यक्ष आरबीआई से जुड़े हुए विशेषज्ञ थे। इनमें से एक कमिटी के सदस्य रहे आरबीआई के एक फॉर्मर एग्जिक्युटिव ने कहा कि इस बार समिति की कमान किसी ‘स्वतंत्र’ उम्मीदवार को देने की संभावना ज्यादा है। सूत्रों के अनुसार सरकार किसी ऐसे शख्स को वरीयता दे सकती है जिन्हें फिस्कल और मॉनेटरी, दोनों अथॉरिटीज के साथ काम करने का सीधा अनुभव हो।
19 नवंबर को हुई बोर्ड मीटिंग के बाद आरबीआई ने कहा था कि इस समिति के सदस्यों और इसके काम करने की शर्तों पर वह और सरकार मिलकर निर्णय करेंगे। यह कमिटी एक सप्ताह में बनाई जा सकती है।
केंद्रीय बैंक के पास कितना रिजर्व रहना चाहिए इस बात पर सरकार और आरबीआई के बीच विवाद चल रहा है। एक ओर जहां आरबीआई का कहना है कि उसे पर्याप्त पूंजी और रिजर्व की जरूरत होती है ताकि किसी भी संकट की स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके। वहीं, दूसरी ओर सरकार का मानना है कि आरबीआई जरूरत से ज्यादा रिजर्व बनाए रखता है और इसका उपयोग देश के दूसरे कार्यों में किया जा सकता है।