यह कहानी है प्रतिशोध और अपमान की। कहानी है बाला से रणचंडी बन जाने की। पांच साल पहले हुई एक घृणित घटना ने आज उसे नागिन बना दिया है। वह खुद नागिन गैंग की चीफ, यानी प्रदेश कमांडर है।
यह कहानी है प्रतिशोध और अपमान की। कहानी है बाला से रणचंडी बन जाने की। पांच साल पहले हुई एक घृणित घटना ने आज उसे नागिन बना दिया है। वह खुद नागिन गैंग की चीफ, यानी प्रदेश कमांडर है। इस गैंग में शामिल 500 से ज्यादा से महिलाएं हैं, जो महिला उत्पीडऩ का मुंहतोड़ जवाब देती हैं। यह गैंग बांदा से लेकर फतेहपुर, कानपुर, झांसी, ललितपुर आदि जिलों के दर्जनों गांवों में सक्रिय है।
महिलाओं की मसीहा
कानपुर से बांदा के बीहड़ों का मीलों सफर तय कर उस गांव में पहुंचे, जहां कभी दस्यु ददुआ, ठोकिया और बलखडिय़ा जैसे खूंखारों की रात-दिन गोलियां गूंजती थीं। आज इन्हीं गांवों में महिलाओं पर अत्याचार से पहले पुरुष के जेहन में कौंधता है, कहीं शीलू न आ धमके। शीलू यानी नागिन गैंग की प्रदेश कमांडर शीलू निषाद।
दस्यु ठोकिया के शहबाजपुर गांव में अब शीलू डकैतों, अपराधियों और महिला अत्याचार के खिलाफ लड़ रही है। शीलू बताती हैं कि दिसंबर 2010 में एक विधायक ने उसके साथ रेप किया। आवाज उठाई तो मां-बाप को मारकर भगा दिया।
विधायक ने उसे झूठे मामले में फंसाकर जेल भिजवा दिया गया। मुंह खोलने पर डाकुओं से मरवा देने की धमकियां दी गईं। डेढ़ माह बाद जब वह जेल से छूटी, तो देखा कि परिवार का बहिष्कार किया जा चुका था। जेल से निकल विधायक की काली करतूतों के खिलाफ सुबूत जुटाए और पुरुषोत्तम द्विवेदी को 10 साल की सजा दिलाई।