scriptदिल्‍ली सरकार की नजर में एक भिखारी की कीमत 26 लाख, जानिये पूरा मामला | Delhi Government Spent more than 1,25 crore to catch five Women beggar | Patrika News

दिल्‍ली सरकार की नजर में एक भिखारी की कीमत 26 लाख, जानिये पूरा मामला

locationनई दिल्लीPublished: Apr 30, 2018 04:16:48 pm

Submitted by:

Saurabh Sharma

महिला भिखारियों के बारे में चंद्र भूषण नाम के एक शख्‍स ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी, जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है।

Kejriwal Govt

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नई दिल्‍ली। दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार में भिखारियों की मौज हो जाएगी। खासकर महिला भिखारियों की। जब वो जानेंगी कि केजरीवाल सरकार ने उनकी कीमत कुछ चिल्‍लरों में नहीं, लाखों रुपए में लगाई है तो वे खुशी में झूम उठेंगी। आखिर क्‍या है ये पूरा मामला? दिल्‍ली सरकार ने महिला भिखारियों ये की कीमत किस तरह से लगाई है। आइए आपको भी बताते हैं।

भिखारियों को पकड़ने में एक करोड़ खर्च
दिल्ली में भीख मांगना एक व्‍यापार बन चुका है। यह दिल्‍ली के लिए एक ऐसा कोढ़ बन गया है जिसका इलाज कोई भी सरकार नहीं कर पा रही है। ताज्‍जुब की बात तो ये है कि हर साल लाखों रुपए खर्च करने के बाद भी सरकार इसमें लगाम लगाने में नाकाम साबित हुई है। बात दिल्ली सरकार की करें तो सरकार का समाज कल्याण विभाग तीन साल में पांच महिला भिखारियों को ही पकड़ पाया है। जबकि तीन सालों में विभाग आवंटित बजट में से एक करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर चुका है। अब आप समझ सकते हैं कि दिल्‍ली सरकार की नजर में एक महिला भिखारी की कीमत 26 लाख रुपये से अधिक है।

आरटीआई में मिली जानकारी
महिला भिखारियों के बारे में चंद्र भूषण नाम के एक शख्‍स ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत जानकारी मांगी थी। जिसमें यह तमाम जानकारी सामने आई है। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2015 में विभाग को 56,35,000 रुपए का बजट आवंटित हुआ था, जिसमें से विभाग ने 44,32,121 रुपए खर्च किए। इन रुपयों से अप्रैल, सितंबर व नवंबर महीने में विभाग ने एक-एक महिला भिखारी को पकड़ा था। अगर बात वर्ष 2016 की करें तो विभाग को 42,95,000 रुपए आवंटित किए गए थे। जिनमें से विभाग ने 41,23,642 रुपए खर्च किए और जुलाई महीने में दो महिला भिखारियों को पकड़ा था। जबकि वर्ष 2017 के लिए विभाग को 64,00000, रुपए का बजट आवंटित हुआ था, लेकिन 46,99,921 रुपए खर्च करने के बाद भी विभाग एक भी महिला भिखारी को पकड़ने में असमर्थ रहा है। आरटीआई कार्यकर्ता चंद्र भूषण के अनुसार दिल्ली में शीला दीक्षित सरकार ने मुंबई भिखारी अधिनियम को देखकर दिल्ली भिखारी अधिनियम बनाया था। जिसका उद्देश्य भिखारियों को पकड़ कर उनका पुनर्वास सुनिश्चित करना था।

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