नोटबंदी – अरुण कुमार के मुताबिक नोटबंदी देश के लिए अबतक का सबसे बड़ा रिफॉर्म रहा है। सरकार ने नोटबंदी इसलिए की थी कि कालाधन वापस आ सके। कालाधन तो वापस नहीं आ सका, लेकिन इसका उल्टा असर किसानों और गरीब जनता पर पड़ा। हालांकि सरकार के इस फैसले को हर खासोआम ने माना। लोगों को उम्मीद थी कि इससे कुछ भला होगा। लोगों को भला तो हुआ नहीं उल्टा सरकार के लिए ये गले की फांस बन गया। खासकर एमपी जैसे राज्य जहां किसान एक बहुत बड़ा वोट बैंक है। नोटबंदी के बाद इन किसानों की हालत बद से बदतर हो गई, जिसका खामियाजा सरकार को भुगतना पड़ा।
जीएसटी – जीएसटी सरकार की ओर से एक साल के भीतर एक और बड़ा रिफॉर्म लाया गया, जिसका नाम था जीएसटी। सरकार जिस सोच के साथ इसे लेकर आई उसके पूरे न हो सकने में सबसे बड़ी बाधा बनी देश का असंगठित क्षेत्र। अरुण कुमार के मुताबिक देश में GDP का 45 फीसदी हिस्सा असंगठित क्षेत्र से ही आता है। और जीएसटी को अमल में लाने में इस क्षेत्र के पसीने छूट गए। जिसके चलते इस क्षेत्र ने इस रिफॉर्म को सिरे से नकारते हुए चुनावों में इसका जवाब सरकार को दे दिया।
रोजगार – मोदी सरकार की तीसरी सबसे बड़ी नाकामी रही नए रोजगार का पैदा न होना। आकड़ों की बात करें तो बीते 4 सालों में नए रोजगार के अवसर में 60 फीसदी की कमी रही है। खासकर राजस्थान, मध्यप्रदेश और छ्तीसगढ़ जैसे राज्यों मे तो हालात और भी बेकार रहे।
डिजिटाइजेशन – डिजिटल इंडिया को मोदी सरकार नए भारत का नारा बनाना चाहती है। लेकिन इन चुनावों में हार का एक बड़ा कारण डिजिटाइजेशन को माना जा रहा है। अर्थशास्त्री अरुण कुमार ने बताया कि देश का असगंठित क्षेत्र जो आज भी डिजिटल इंडिया की पहुंच से कोसो दूर है। उन तक सरकार अपने आप को नहीं पहुंचा पाई जिसकी वजह से इस क्षेत्र में निगेटिव ग्रोथ रेट दर्ज की गई। लिहाजा इस क्षेत्र में कारोबार कर रहे लोगों के डिमांड में कमी आनी शुरु हो गई। अगर सरकार 2019 बचाना चाहती है तो उन्हें इनपर ध्यान देना बहुत ही जरुरी है।