इकोनॉमिक सर्वे में मिली जानकारी
आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि ग्रामीण मुद्रास्फीति में कमी खाद्य महंगाई के घटने की वजह से आई है। पिछले छह माह (अक्टूबर, 2018–मार्च, 2019) से खाद्य मुद्रास्फीति लगातार नीचे आ रही है। समीक्षा के मुताबिक एक और खास बात यह है कि ज्यादातर राज्यों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 23 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में मुद्रास्फीति की दर चार फीसदी से नीचे थी। वहीं वित्त वर्ष के दौरान 16 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में मुद्रास्फीति की दर अखिल भारतीय औसत से कम आंकी गई। इस दौरान दमन एवं दीव में मुद्रास्फीति दर न्यूनतम रही और इस लिहाज से इसके बाद हिमाचल प्रदेश एवं आंध्र प्रदेश का नंबर आता है।
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महंगाई में आई गिरावट
रिपोर्ट के मुताबिक एक और खास बात यह है कि ज्यादातर राज्यों में कंज्यूमर प्राइस इडेक्स पर आधारित महंगाई में गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2018-19 के दौरान 23 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों में महंगाई की दर चार प्रतिशत से नीचे थी। वहीं वित्त वर्ष के दौरान 16 राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में महंगाई की दर ऑल इंडिया एवरेज से कम आंकी गई। इस दौरान दमन और दीव में महंगाई दर न्यूनतम रही और इस लिहाज से इसके बाद हिमाचल प्रदेश एवं आंध्र प्रदेश का नंबर आता है।
निम्न स्तर पर पहुंची मुद्रास्फीति
आर्थिक समीक्षा के अनुसार देश में खाद्य मुद्रास्फीति निम्न स्तर पर बरकरार रही है। खाद्य महंगाई दर अप्रैल, 2019 में 1.1 फीसदी आंकी गई, जबकि यह मार्च 2019 में 0.3 फीसदी और अप्रैल 2018 में 2.8 फीसदी दर्ज की गई थी। समीक्षा में यह बात रेखांकित की गई है कि वित्त वर्ष 2018-19 की दूसरी छमाही के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति में भारी कमी मुख्यत: सब्जियों, फलों, दालों एवं उत्पादों, चीनी और अंडे की कीमतों में भारी गिरावट के कारण ही संभव हो पाई है।
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