दास ने अमरीका में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्वबैंक की वार्षिक ग्रीष्मकालीन बैठक से इतर एक व्याख्यान में कहा कि इसमें आधुनिक केंद्रीय बैंकों की नीतिगत दर (रेपो) 0.25 प्रतिशत घटाने या बढ़ाने को लेकर परंपरागत सोच में भी बदलावा की जरूरत है। गवर्नर ने 21वीं सदी में मौद्रिक नीति से जुड़ी चिंताओं के निपटारे के लिए लीक से हट कर सोचने का आह्वान किया। कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं ने इसकी खूब सराहना की। उन्होंने कहा कि विकसित देशों की गैर-परंपरागत मौद्रिक नीति का दूसरे देशों पर प्रतिकूल असर पड़ा है और उभरते हुए बाजारों के लिए ‘जोखिम’ की स्थिति पैदा हो गयी है और वे भी प्रभावित हो रहे हैं।
दास ने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट की वजह से परम्परागत और अपरम्परागत मौद्रिक नीति के सिद्धांतों की कमी सबके सामने आ गयी है। उन्होंने कुछ देश निराशा में नये तरीकों पर विचार कर रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आधुनिक मौद्रिक नीति के तौर पर किया जा रहा है। दास के मुताबिक अंतत: मौद्रिक नीति का लक्ष्य वास्तविक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करना, निवेश को बढ़ावा देना और मौद्रिक एवं वित्तीय स्थिरता प्रदान करना है।
Business जगत से जुड़ी Hindi News के अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें Facebook पर Like करें, Follow करें Twitter पर और पाएं बाजार, फाइनेंस, इंडस्ट्री, अर्थव्यवस्था, कॉर्पोरेट, म्युचुअल फंड के हर अपडेट के लिए Download करें Patrika Hindi News App.