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वैश्विक कर्ज संकट से मौद्रिक नीतियों की कमी उजागर, उभरते बाजारों में इसपर गौर करने की जरूरत: आरबीाई गवर्नर

locationनई दिल्लीPublished: Apr 14, 2019 07:08:36 pm

Submitted by:

Ashutosh Verma

वैश्विक कर्ज संकट ने पारम्परिक और गैर-पारंपरिक मौद्रिक नीतियों की कमी को उजागर कर दिया है।
गवर्नर ने 21वीं सदी में मौद्रिक नीति से जुड़ी चिंताओं के निपटारे के लिए लीक से हट कर सोचने का आह्वान किया।
दास के मुताबिक अंतत: मौद्रिक नीति का लक्ष्य वास्तविक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करना, निवेश को बढ़ावा देना और मौद्रिक एवं वित्तीय स्थिरता प्रदान करना है।

ShakitKanata Das

वैश्विक कर्ज संकट से मौद्रिक नीतियों की कमी उजागर, उभरते बाजारों में इसपर गौर करने की जरूरत: आरबीाई गवर्नर

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा है कि उभरते बाजारों में मौद्रिक अर्थशास्त्र पर नये सिरे से सोचने की जरूरत है। उनका कहना है कि वैश्विक कर्ज संकट ने पारम्परिक और गैर-पारंपरिक मौद्रिक नीतियों की कमी को उजागर कर दिया है इस लिए खास कर उभरते विकासशील देशों के संदर्भ में इस पर पुनर्विचार करने की जरूरत है।


दास ने अमरीका में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष और विश्वबैंक की वार्षिक ग्रीष्मकालीन बैठक से इतर एक व्याख्यान में कहा कि इसमें आधुनिक केंद्रीय बैंकों की नीतिगत दर (रेपो) 0.25 प्रतिशत घटाने या बढ़ाने को लेकर परंपरागत सोच में भी बदलावा की जरूरत है। गवर्नर ने 21वीं सदी में मौद्रिक नीति से जुड़ी चिंताओं के निपटारे के लिए लीक से हट कर सोचने का आह्वान किया। कार्यक्रम में उपस्थित श्रोताओं ने इसकी खूब सराहना की। उन्होंने कहा कि विकसित देशों की गैर-परंपरागत मौद्रिक नीति का दूसरे देशों पर प्रतिकूल असर पड़ा है और उभरते हुए बाजारों के लिए ‘जोखिम’ की स्थिति पैदा हो गयी है और वे भी प्रभावित हो रहे हैं।


दास ने कहा कि वैश्विक वित्तीय संकट की वजह से परम्परागत और अपरम्परागत मौद्रिक नीति के सिद्धांतों की कमी सबके सामने आ गयी है। उन्होंने कुछ देश निराशा में नये तरीकों पर विचार कर रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आधुनिक मौद्रिक नीति के तौर पर किया जा रहा है। दास के मुताबिक अंतत: मौद्रिक नीति का लक्ष्य वास्तविक अर्थव्यवस्था को प्रभावित करना, निवेश को बढ़ावा देना और मौद्रिक एवं वित्तीय स्थिरता प्रदान करना है।

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