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पब्लिक सेक्टर कंपनियों की संपत्ति बिक्री से 3 लाख करोड़ रुपये जुटाएगी सरकार, नीति आयोग ने बनाया प्लान

सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज की संपत्ति बिक्री का प्लान।
पावर ग्रिड, BSNL, MTNL और गेल इंडिया की कुछ संपत्तियां बेचने की तैयारी।
DIPAM ने भी इस संबंध में उठाया कदम।

नई दिल्लीAug 08, 2019 / 01:02 pm

Ashutosh Verma

नई दिल्ली। केंद्र सरकार अब पब्लिक एसेट की बिक्री से करीब 3 लाख करोड़ रुपये जुटाने की योजना बना रही है। सरकार की थिंक टैंक नीति आयोग अब पब्लिक सेक्टर के ट्रांसमिशन लाइन, टेलिकॉम टावर्स, गैस पाइपलाइन, एयरपोट्र्स व लैंड पार्सल्स के जरिये पूंजी जुटाने पर काम कर रहा है।

नीति आयोग ने कई मंत्रालयों से इस संबंध में बात करने के बाद पावर ग्रिड इलेक्ट्रिक ट्रांसमिशन, bsnl और MTNL के टावर्स, गेल इंडिया लिमिटेड का पाइपलाइन, कुछ शहरों के एयरपोट्र्स और रियल एस्टेट की कुछ संपत्तियों की पहचान की है।

सेंट्रल पब्लिक सेक्टर एंटरप्राइज यानी सीपीएसई में नीति आयोग ने नेशनल टेक्सटाइल, हिंदुस्तान एंटीबायोटिक्स और एनटीपीसी की भूमि की पहचान की है।

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गेल इंडिया को बेच सकती है सरकार

बिजनेस अखबार इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर कोई सीपीएसई प्राप्त पूंजी खर्च नहीं करती है तो यह डिविडेंड या अन्य माध्यम से सरकार के पास भेज दिया जायेगा।

उन्होंने कहा कि BSNL और MTNL के टावर्स को लीज पर भी दिया जायेगा और कुछ मामलों में इन्हें बेचा भी जायेगा।

जबकि, गेल के बिजनेस को पेरेंट कंपनी से डिमर्ज करने के बाद इसे लंबी अवधि के लिए लीज पर दिया जायेगा। हालांकि, सरकार इसे पूरी तरह से बेचने पर भी विचार कर सकती है, लेकिन यह खरीदार की रुचि पर निर्भर करता है।

किसी कंपनी के पास कितनी संपत्ति

बता दें कि BSNL और MTNL ने क्रमश: पहले ही 13,051 और 392 मोबाइल टावर्स को किराये पर दे रखें हैं। पावर ग्रिड के पास कुल 1,45,400 सर्किट किलोमीटर को ट्रांसमिशन लाइन है और गेल के पास करीब 11,500 किलोमीटर की पाइपलाइन्स हैं।

गत मार्च माह में कनाडाई कंपनी ब्रुकफील्ड ने रिलायंस इंडस्ट्रीज से 14,000 करोड़ रुपये में 1,400 किलोमीटर पाइपलाइन खरीदा था।

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सरकारी कंपनियों में 51 फीसदी से कम हिस्सेदारी करना चाहती है सरकार

डिपार्टमेंट ऑफ इन्वेस्टमेंट एंड पब्लिक एसेट मैनेजमेंट ( DIPAM ) ने पहले ही कंस्टल्टेंट्स की नियुक्ति के लिये एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट जारी कर दिया है।

इन कंसल्टेंट्स का काम होगा कि वे ट्रांजैक्शन एडवाइजरी के रूप में काम करें। गौरतलब है कि सरकार इस साल कई रणनीतिक सेल्स पर काम करेगी क्योंकि उसे कई कंपनियों मे अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी कम करनी होगी।

पिछले माह 5 जुलाई को पेश किए गए बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा कि केंद्र सरकार सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी 51 फीसदी से कम करेगी।

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