हालांकि, आर्थिक तेजी के लिए केंद्र सरकार के एजेंडे में वस्तु एवं सेवा कर ( जीएसटी ) की दरों में कटौती करना शामिल नहीं है। दरअसल, सरकार का मानना है कि कई वस्तुओं व सेवाओं के लिए जीएसटी पहले की तुलना में काफी कम है। ऐसे में अब गुंजाइश नहीं बचती कि इनमें और कटौती की जाये।
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कुछ दिन पहले ही हुई वित्त मंत्री की स्टेकहोल्डर्स से मुलाकात
बीते दिनों ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंडस्ट्री चैंबर्स, बैंकर्स, विदेशी व घरेलू निवेशक समेत अलग-अगल स्टेकहोल्डर्स से मुलाकात की थीं। इस दौरान उन्हे जो फीडबैक मिला है, उसी को ध्यान में रखते हुये केंद्र सरकार अब आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए नई रणनीति तैयार कर रही है।
क्या है इंडस्ट्री की मांग
सूत्रों का कहना है कि बीते दिनों अलग-अलग सेक्टर के स्टेकहोल्डर्स से मिलने पर सरकार को कई खामियों का पता चला है, जिसे अब दुरुस्त करने की प्रक्रिया शुरू किया जायेगा। इंडस्ट्रीज ने सरकार से मांग की है कि उन्हें क्रेडिट मुहैया कराया जाये, कर्ज पर ब्याज दरों कम और नीतियों को सरल किया जाये, ताकि ग्रोथ को बढ़ावा दिया जा सके।
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चुनाव के बावजूद भी पहली तिमाही बेहतर टैक्स कलेक्शन
चालू वित्त वर्ष के सरकार ने आर्थिक ग्रोथ का लक्ष्य 7 फीसदी रखा है। जून तिमाही तक तो सरकार इस लक्ष्य को पूरा करने में सफल भी रही है। लोकसभा चुनाव 2019 होने के बाद भी पहली तिमाही के दौरान जीएसटी कलेक्शन में 9 फीसदी का इजाफा देखने को मिला। वहीं, प्रत्यक्ष कर यानी डायरेक्ट टैक्स की बात करें तो इसमें भी 12.9 फीसदी का इजाफा रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कॉरपोरेट टैक्स में समान रहा है।