अारटीआर्इ कार्यकर्ता ने उठाए सवाल
इंडियन एयरफोर्स के तरफ से मिले जवाब में कहा गया है कि उसने दो फ्रंटलाइन मालवाहक एयरक्राफट C-17 और C-130J सुपर हरक्युलिस से कुल 91 खेप नए नोटों को सेक्योरिटी प्रिंटिंग और मिंट से देश के दूसरे इलाकों तक पहुंचाया है। आरटीआई में IAF ने आगे कहा है कि इसके उसने सरकारी सेक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस, मिंटिंग काॅरपोरेशन आॅफ इंडिया और भारतीय रिजर्व बैंक नोट मुद्रा प्राइवेट लिमिटेड को 29.41 करोड़ रुपये का बिल थमाया था। इस मामले पर आरटीआई कार्यकर्ता ने कहा कि मेरा मानना है कि सरकार को रक्षा परिसंपत्ति का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए था। इसके जगह वो आसानी से सीविल ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल कर सकती थी। और सबसे बड़ी तो ये कि यदि सरकार नोटबंदी के पहले पूरी तैयारी कर लेती तो इसकी भी जरूरत ही नहीं पड़ती। सरकार ने नोटंबदी का फैसला आनन-फानन में लिया था।
नोटों की छपार्इ पर खूब खर्च हुए पैसे
नोटंबदी के बाद साल 2016-17 में आरबीआई ने 7965 करोड़ रुपये 500 और 2000 रुपये के नए नोटों की छपाई पर खर्च किए थे। वहीं अन्य नोटों की छपाई पर भी 3421 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे। सरकार ने नोटबंदी को लेकर दिए गए अपनी सफाई में कहा था कि इससे कालेधन पर रोक लगेगी, भ्रष्टाचार कम होगा और नकली नोटों को सिस्टम से बाहर निकालने में मदद मिलेगी। लेकिन आरबीआई ने 2017 के अपने एक रिपोर्ट में कहा है कि उसके एक सर्वे में जो बात सामने आई है वो ये है कि 500 रुपये के हर 10 लाख नोटों में से केवल 7.1 नोट ही नकली पाए गए। यही हाल 1000 रुपये के नोटाें को लेकर भी रहा। आरबीआई के इसी सर्वे के मुताबिक, 1000 रुपये के हर दस लाख नोटों में से केवल 19.1 नोट ही नकली पाए गए।
नोटबंदी के दौरान करीब 86 फीसदी नोट चलन से हुए थे बाहर
आपको बता दें कि 8 नवंबर 2016 तक देश में 500 रुपये के कुल 1716.5 करोड़ नोट और 1000 के कुल 685.8 करोड़ रुपये के नोट चलन में थे। कुल मिलाकर इन नोटों की कीमत करीब 15.44 लाख करोड़ रुपये आंकी गई थी जो कि देशभर की कुल करेंसी का 86 फीसदी था। ये आंकड़ें भारतीय रिजर्व बैंक और केन्द्र सरकार द्वारा उपलब्ध कराए गए थे। आरबीआई ने ये भी कहा था की नोटबंदी के बाद 500 और 1000 रुपये के करीब 99 फीसदी पुराने नोट जमा किए जा चुके हैं।